Karwa Chauth Vrat : करवा चौथ भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण त्योहार
करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को ग्रामीण माहिलाओं से लेकर आधुनिक माहिलाओं तक सभी बड़े ही श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। जिसमें विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मां गौरी की पूजा भी करती हैं। अगर आप करवा चौथ का पहली बार व्रत कर रहे हैं तो जान लें कि व्रत वाले दिन पति-पत्नी के लिए क्या करना होता है।करवा चौथ पर पति-पत्नी को क्या करना होता है शुभ
भारतीय संस्कृति में करवा चौथ के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व हमारी संस्कृति में ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन माहिलाएं अपनी पाति की दीर्घ आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन माहिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं तथा निर्जला व्रत भी करती हैं। इस व्रत को करने से पति- पत्नि के रिश्तों में मधुरता आती है। माहिलाएं पूरे दिन व्रत रखने के साथ रात को चंद्र दर्शन कर व्रत का पारण करती हैं। ये भी पढ़ेंः आठ प्वॉइंट्स में समझें करवा चौथ व्रत, सास को क्या दें दान और सरगी का क्या है महत्व चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल भी किया जाता है। इस दौरान माहिलाएं रात को करवा माता की पूजा करती हैं, पूजा के बाद चंन्द्र दर्शन करती हुई, पति करवा से पत्नी को पानी पिलाते हैं और फिर कुछ खिलाकर उनका व्रत तोड़ते हैं। शास्त्रों में करवा चौथ के व्रत के लिए कुछ खास नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन करना व्रती महिलाओं के लिए बहुत आवश्यक होता है। अन्यथा आपका व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
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