कालाष्टमी 2021 का शुभ मुहूर्त:
चैत्र मास, कृष्ण पक्ष, तिथि अष्टमी
अष्टमी तिथि शुरू- 4 अप्रैल, रविवार, 4:12 AM
अष्टमी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल, सोमवार, 2:59 AM
जानकारों के अनुसार कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के अवतार काल भैरव की आराधना की जाती है। इस दिन भक्त भोले बाबा की कथा पढ़कर उनका भजन कीर्तन करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूजन करने वाले लोगों को भैरव बाबा की कथा को सुनने से आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों के साथ ही आर्थिक तंगी से भी राहत मिलती है। मान्यता के अनुसार कालाष्टमी का व्रत सप्तमी तिथि से ही शुरू हो जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने पापियों का विनाश करने के लिए अपना रौद्र रूप धारण किया था। वहीं यह तिथि ( Kalashtami ) भगवान भैरव को समर्पित होने के कारण इसे भैरवाष्टमी भी कहा जाता है। भगवान शिव के दो रूप बताए जाते हैं, बटुक भैरव और काल भैरव। जहां बटुक भैरव सौम्य हैं वहीं काल भैरव रौद्र रूप हैं। मासिक कालाष्टमी को पूजा रात को कि जाती है। इस दिन काल भैरव की 16 तरीकों से पूजा अर्चना होती है।
भगवान कालभैरव की पूजा धार्मिक मान्यता के अनुसार रात्रि के समय की जाती है। यह तिथि भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। रात को चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है।
kalashtami do this : कालाष्टमी के दिन जरुर करें ये काम
1. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करें, इससे भगवान भैरव का आशीर्वाद मिलता है।
2. कालाष्टमी के दिन भैरव देवता के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिंरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाएं, भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
3. काल भैरव जी की कृपा पाने के लिये भैरव देवता की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करें।
4. कालाष्टमी के दिन से लगातार 40 दिनों तक काल भैरव का दर्शन करें। इस उपाय को करने से भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
5. भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं, भगवान भैरव के साथ ही शनिदेव की कृपा भी बनेगी।
कालाष्टमी की पूजा…
नारद पुराण में कहा गया है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करने वाले के जीवन के सभी कष्ट दूर होकर हर मनोकामना पूरी हो जाती है। साथ ही इस रात को देवी महाकाली की विधिवत पूजा व मंत्रो का जप अर्ध रात्रि में करना चाहिए। पूजा करने से पूर्व रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा पढ़ना या सुनना चाहिए। इस दिन व्रती को फलाहार ही करना चाहिए और कालभैरव की सवारी कुत्ते को भोजन जरूर करना चाहिए।
अपनी मनोकामना पूर्ति की कामना से कालाष्टमी के दिन इस भैरव मंत्र का जप सुबह शाम 108 करना चाहिए।
कालाष्टमी की पूजा का असर…
: कालाष्टमी ( Kalashtami ) के पावन दिन भैरव बाबा की पूजा करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। ये दिन भैरव बाबा की पूजा का होता है, इस दिन श्री भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए। भैरव बाबा की पूजा करने से व्यक्ति रोगों से दूर रहता है।
: कालाष्टमी ( Kalashtami ) के पावन दिन कुत्ते को भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। भैरव बाबा का वाहन कुत्ता होता है, इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन कराने से विशेष लाभ होता है।
: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर संभव हो तो इस दिन उपवास भी रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कालभैरव मंत्र : kaal bhairav Mantra
।। ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूं
कृपा तुम्हारी चाहिए , में ध्यान तुम्हारा ही धरूं
मैं हूँ मति का मंद, मेरी कुछ मदद तो कीजिए महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले… करते सवारी श्वानकी, चारों दिशा में राज्य है
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं |
हथियार है जो आपके, उनका क्या वर्णन करूं
सुनो जी भैरव लाडले…
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा
एक सांकली है आपकी तारीफ़ उसकी क्या करूँ
सुनो जी भैरव लाडले… बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है
आते जगत के यात्री बजरंग का स्थान है
श्री प्रेतराज सरकारके, मैं शीश चरणों मैं धरूं
सुनो जी भैरव लाडले…
सर पर तुम्हारे हाथ रखकर आशीर्वाद देती रहे कर जोड़ कर विनती करूं अरुशीश चरणों में धरूं
सुनो जी भैरव लाड़ले, कर जोड़ कर विनती करूं।। कालाष्टमी का महत्व : Importance of Kalashtami
मान्यता के अनुसार कालाष्टमी ( Kalashtami ) के दिन जो भक्त पूरी निष्ठा और नियम के साथ भगवान कालभैरव ( Kal Bherav ) की पूजा और व्रत करता है, वह हर तरह के भय, संकट और शत्रु बाधा से मुक्ति प्राप्त करता है। वहीं ये भी मान्यता है कि सामान्यत: को भगवान कालभैरव ( Kal Bherav ) के बटुक रूप की पूजा करनी चाहिए क्योंकि उनका यह स्वरूप सौम्य है। कालभैरव भगवान का स्वरूप अत्यंत रौद्र है परंतु भक्तों के लिए वे बहुत ही दयालु और कल्याणकारी हैं।