जानकी जयंती (सीताष्टमी) : व्रत पूजा विधि व महत्व 16 फरवरी 2020
होली के त्यौहार के बारे में शास्त्रों में उल्लेख आता है कि बहुत समय पहले, हिरण्याकश्यप नामक एक राक्षस राजा था। राक्षस राज हिरण्याकश्यप की होलिका नाम की बहन एवं एक प्रह्लाद नामक धार्मिक प्रवत्ति पुत्र था। असुर हिरण्याकश्यप ने कई वर्षो तक कठिन तप कर प्रजापिता ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने हिरण्याकश्यप को शक्तिशाली होने का वरदान दे दिया। ब्रह्माजी के वरदान से असुर हिरण्याकश्यप अंहकारी होकर शक्तियों का गलत उपयोग करने लगा और स्वयं की भगवान के रूप में पूजा कराने लगा।
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अंहकारी असुर हिरण्याकश्यप के आतंक से उसके राज्य के लोग बहुत भयभीत होने लगे, लेकिन हिरण्याकश्यप का धार्मिक प्रवत्ति वाला पुत्र प्रहलाद अपने पिता के इस फैसले का विरोध करने लगा। प्रहलाद बचपन से ही धार्मिक प्रवत्ति का था जो भगवान श्रीविष्णु जी का परम भक्त था। प्रहलाद की धार्मिक प्रवत्ति असुर हिरणयाकश्प को बिल्कुल भी पसन्द नहीं था, इसलिए वह प्रहलाद को क्रूरता पूर्वक से दण्ड देने लगा। अंहकारी असुर हिरण्याकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई बाद जान से मारने की भी कोशिश की लेकिन सभी कोशिशों का विष्णु भक्त प्रहलाद पर कोई असर नहीं हुआ।
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असुर हिरण्याकश्यप ने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे वरदान मिला था की उसे अग्नि जला नहीं सकती। होलीका ने भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर आग में बैठ गई। भगवान श्री विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को तो कुछ भी नहीं हुआ, लेकिन अपनी शक्ति का दुर्पयोग के कारण अंहकारी असुर हिरण्याकश्यप की बहन होलीका खुदी आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि थी, तभी से हर साल इस दिन होलीका दहन की परम्परा शुरू हुई और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
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होली पर्व के साथ ही ये त्यौहार भी मनाएं जाते हैं।
रंगों का त्यौहार होली पर्व मुख्य रूप से तीन दिन तक मनाया जाता है, जिसमें पहले दिन होलीका दहन, दूसरे धुलेंडी (रंग होली) एवं पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है।
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