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करें ये उपाय
होलाष्टक के समय में उग्र ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्रोत का पाठ किया जा सकता है। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार, ग्रहों से मिलने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्रोत बहुत ही प्रभावी माना गया है। नवग्रह पीड़ाहर स्रोत में सभी 9 ग्रहों से पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना की गई है। इस लेख में आप पढ़ सकते हैं नवग्रह पीड़ाहर स्रोत। इसे आप पूजा के समय खुद ही पढ़ सकते हैं।
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नवग्रह पीड़ाहर स्रोत ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:।विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।। भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।। उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।। देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।
प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु:।। सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।। अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्।
उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।। महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।