पंचांग के अनुसार इस साल व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन यह मकर संक्रांति कई मायनों में खास होगी, इस दिन सोमवार को मकर संक्रांति पड़ रही है, ऐसी घटना पांच वर्ष पूर्व हुई थी। जिसके कारण इस विशेष दिन सूर्य के साथ शिवजी की पूजा होगी। इससे मकर संक्रांति का महत्व बढ़ गया है।
77 साल बाद मकर संक्रांति पर वरीयान योग, ये हैं लाभ
ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर वरीयान योग बन रहा है, ऐसा अवसर 77 साल बाद आ रहा है। हालांकि इस दिन रवि योग का संयोग भी है, जो इस समय को और विशेष बना देता है। आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार वरीयान योग की शुरुआत 14 जनवरी को मध्यरात्रि में 2:40 बजे से होगी और यह योग 15 जनवरी की रात 11:10 बजे तक रहेगा। यानी मकर संक्रांति पर पूरे दिन यह शुभ योग रहेगा।
ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर वरीयान योग बन रहा है, ऐसा अवसर 77 साल बाद आ रहा है। हालांकि इस दिन रवि योग का संयोग भी है, जो इस समय को और विशेष बना देता है। आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार वरीयान योग की शुरुआत 14 जनवरी को मध्यरात्रि में 2:40 बजे से होगी और यह योग 15 जनवरी की रात 11:10 बजे तक रहेगा। यानी मकर संक्रांति पर पूरे दिन यह शुभ योग रहेगा।
आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार वरीयान योग में जमीन खरीदना, नई गाड़ी खरीदना, गृह प्रवेश, मुंडन, घर का निर्माण शुरू करना शुभ फल देता है। वरीयान योग के कारण उत्तरायण महापर्व मकर संक्रांति का महत्व अधिक बढ़ जाएगा। इसके साथ ही पांच साल के बाद मकर संक्रांति का पर्व सोमवार को पड़ेगा। सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना का दिन होने के कारण मकर संक्रांति का महत्व भी बढ़ जाएगा।
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मकर संक्रांति पर दान स्नान का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की उपासना, दान, गंगा स्नान और शनिदेव की पूजा करने से सूर्य और शनि से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही गंगास्नान से मोक्ष प्राप्ति और अक्षय पुण्यफल मिलता है। जाने-अनजाने किए पाप कटते हैं। इस दिन कंबल, घी, तिल, लड्डू और वस्त्र का दान करना चाहिए।
मकर संक्रांति पर दान स्नान का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की उपासना, दान, गंगा स्नान और शनिदेव की पूजा करने से सूर्य और शनि से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही गंगास्नान से मोक्ष प्राप्ति और अक्षय पुण्यफल मिलता है। जाने-अनजाने किए पाप कटते हैं। इस दिन कंबल, घी, तिल, लड्डू और वस्त्र का दान करना चाहिए।
मान्यता है कि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं और सूर्य नारायण शनिदेव के पिता, जब सूर्य यहां आते हैं तो शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है। पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य देव भोर में 2:54 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 7:15 मिनट से शाम 6:21 मिनट तक रहेगा और महा पुण्यकाल सुबह 7:15 बजे से 9:06 बजे तक होगा।