हनुमान जी का जन्म
त्रेतायुग रामा काल में जब भगवान श्रीराम नें चैत्र मास की नवमी तिथि को देव भूमि भारत की पवित्र नगरी अयोध्या में जन्म लिया तो उसके ठीक 5 दिन बाद राम जी की सेवा सहायता के लिए ही चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को माता अंजनी एवं पिता कैसरी महाराज के घर श्री हनुमान जी ने वानर रूप में जन्म लिया जिसका प्रथम नामकरण मारूति रखा गया। बाद में फिर एक बड़ी घटना के बाद उनका नाम हनुमान हुआ।
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ऐसी मान्यता है कि जिस दिन हनुमान जा की जन्मोत्सव मनाया जाए दिन अगर उस दिन सर्वार्थसिद्धि का शुभ योग बने तो वह बहुत ही महत्वपूर्ण दिन स्वतः ही बन जाता है। अगर इस दिन हनुमान जी को इन पांच प्रकार की मीठाईयों का भोग लगाया जाता तो वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की समस्त सकारात्मक मनोकामनाओं को पूरी कर देते हैं।
हनुमान जंयती पर इन पांच मीठे पदार्थो का लगाये भोग-
1- केसरिया बूंदी लड्डू- इसका भोग लगाने से व्यक्ति धन संबंधित समस्याएं दूर हो जाती है।
2- बेसन के लड्डू- इसका भोग लगाने से कार्यों में आने वाली रूकावटे खत्म हो जाती है।
3- रसीली इमरती- इसका भोग लगाने से व्यक्ति को जीवन में अच्छे लोगों का साथ औऱ सहयोग मिलता है।
4- मालपुआ- इसका भोग लगाने से रोजगार संबंधित समस्याओं का हल मिलने लगता है।
5- मलाई-मिश्री के लड्डू- इसका भोग लगाने से विवाह एवं पारिवारिक सुखों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है।
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हनुमान जयंती के दिन उपरोक्त का भोग लगाने के बाद श्रीरामचरित मानस का पाठ या फिर सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। साथ ही हनुमान जयंती की शाम को हनुमान मंदिर में जा कर उन्हें केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाने से हनुमत लला शीघ्र कृपा करते हैं।
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