Goverdhan puja Date 2024
इस खास अवसर पर गोवर्धन पर्वत और जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। तो आइए जानते हैं कि 2024 में गोवर्धन पूजा की सही तारीख और समय क्या है, ताकि श्रद्धालु इस पवित्र पर्व को सही तरीके से मना सकें।गोवर्धन पूजा की तारीख 2024 (Govardhan Puja 2024 Date)
हालांकि, इस बार दिवाली की तारीख को लेकर काफी वाद-विवाद व चर्चा हो रही है। अगर आपके राज्य या क्षेत्र में दिवाली 31 अक्टूबर को है तो उसी अनुसार गोवर्धन पूजा की तारीख तय होगी। साथ ही अगर 01 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी तो उसी अनुसार इस पूजा की तारीख फाइनल होगी। इसके अलावा अगर हम हिंदू कैलेंडर की बात करें तो इस साल गोवर्धन पूजा 2024 में 02 नवम्बर शनिवार को मनाई जाएगी। इसे भी पढ़ेः क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी जानें इस दिन की महत्ता और पौराणिक कथा
गोवर्धन पूजा का समय (Govardhan puja Time)
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे शुभ समय सुबह 6:32 बजे से लेकर 8:4 बजे तक है। इस समय के दौरान पूजा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके बाद शाम को 03:23 बजे से 05:36 बजे तक है। पूजा के बाद भक्त विशेष भोग भी अर्पित करते हैं, जिसमें मिष्ठान्न, सब्जियाँ और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी शामिल होते हैं।पूजा विधि (Method Of Worship)
गोवर्धन पूजा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर, गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण की मूर्ति बनाएं। इसके बाद मूर्ति को फूलों और रंगोली से सजाए। इस दौरान भगवान को फल, जल, दीपक, धूप और उपहार अर्पित करें। इसके साथ ही कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं। इसके बाद शाम को पूजा करें और पारिक्रमा भी लगाएं। इसे भी पढ़ेः किस दिन दिवाली, तय करने के हैं ये 3 नियम,
गोवर्धन पूजा के विशेष आयोजन (Special Events Of Govardhan Puja)
इस दिन, कई जगहों पर भव्य आयोजन भी किए जाते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्त एक-दूसरे को मिठाईयां बांटते हैं। गोकुल में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। कई लोग इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं।गोवर्धन पूजा का महत्व (Importance of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की स्मृति में मनाई जाती है। मान्यता है कि जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों को अपनी कृपा से शीतल वृष्टि से परेशान किया, तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया और गांववासियों को बचाया। इस दिन भक्त गोवर्धन का पूजन करते हैं और विशेष रूप से इस पर्वत के प्रतीक के रूप में ‘गोवर्धन’ बनाए जाते हैं। डिस्क्लेमर- इस लेख में उल्लेखित गोवर्धन पूजा की पुष्टि www.patrika.com नहीं करता है। ये सामान्य जानकारी है। आप इसकी स्पष्ट जानकारी किसी विद्वान या जानकार से ले सकते हैं।