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गणेश चतुर्थी : शीघ्र इच्छा पूर्ति की विशेष गणेश पूजन विधि

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Puja Vidhi : इच्छा पूर्ति करने वाली शास्त्रोंक्त पूजा विधि से भगवान श्री गणेश का पूजन करने से हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। जानें इस विशेष पूजा को करने का पूरा विधि-विधान।

Sep 02, 2019 / 11:27 am

Shyam

गणेश चतुर्थी : शीघ्र इच्छा पूर्ति की विशेष गणेश पूजन विधि

विशेष गणेश चतुर्थी पूजन विधि

गणेश चतुर्थी के दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी के दिन इस विशेष शीघ्रता से इच्छा पूर्ति करने वाली शास्त्रोंक्त पूजा विधि से भगवान श्री गणेश का पूजन करने से हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। जानें इस विशेष पूजा को करने का पूरा विधि-विधान।

 

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पूजन सामग्री (वृहद् पूजन के लिए ) -शुद्धजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, मधुपर्क, सुगंध, लाल चन्दन, रोली, सिन्दूर, अक्षत(चावल), फूल, माला, बेलपत्र, दूब, शमीपत्र, गुलाल, आभूषण, सुगन्धित तेल, धूपबत्ती, दीपक, प्रसाद, फल, गंगाजल, पान, सुपारी, रूई, कपूर आदि।

 

पूजा विधि-

गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन करें-
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।

अब गणेश जी अस्थाई प्राण प्रतिष्ठा करें –

अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।

 

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आसन अर्पित करें-

रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।

पाद्य (पैर धुलाना)-

उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम।
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम।।

आर्घ्य (हाथ धुलाना)-

अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतैः।
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते।।

आचमन –

सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

स्नान –

गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||

दूध् से स्नान –

कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||

दही से स्नान-

पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||

घी से स्नान –

नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शहद से स्नान-

तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

 

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शर्करा (चीनी) से स्नान –

इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

पंचामृत से स्नान –

पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान –

मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

वस्त्र –

सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||

उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )-

सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||

यज्ञोपवीत –

नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

मधुपर्क –

कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||

गन्ध –

श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||

लाल चन्दन-

रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||

रोली –

कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम।
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्:।।

सिन्दूर-

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां।।

अक्षत –

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः।।

 

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पुष्प-

पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां।।

पुष्प माला –

माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर:।।

बेल का पत्र –

त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै:।
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर:।।

दूर्वा –

त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव।।

दूर्वाकर –

दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम।
आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:।।

शमीपत्र –

शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका।
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी।।

अबीर गुलाल –

अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च।
अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे।।

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

आभूषण –

अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान।
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर:।।

सुगंध तेल –

चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि:।
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां।।

धूप-

वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम:।
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां।।

दीप –

आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम।।|

नैवेद्य-

शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां।।

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

मध्येपानीय –

अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या।।
त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि।।

ऋतुफल-

नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम।।
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां।।

आचमन –

गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन।
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम।।

ऋतुफल –

इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।

ताम्बूल पूंगीफलं –

पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम।
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां।।

Ganesh Chaturthi : Special Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

दक्षिणा(दान)-

हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:।
अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे।।

आरती –

चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च।
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।।

पुष्पांजलि –

नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च।
पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर:।।

हाथ जोड़कर प्रार्थना करें-

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात।।

उपरोक्त पूजन होने के बाद विधि पूर्वक श्री गणेश जू की आरती करें

।। अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम ।।

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