दस महाविद्याओं में काली सर्वप्रथम है। इनकी साधना करने के बाद पूरे विश्व में ऐसा कुछ नहीं जो प्राप्त न हो सके, वरन भक्त स्वयं ही भगवान बन जाता है। मुख्यतः इनकी आराधना बीमारी के नाश, शत्रुओं के नाश के लिए, दुष्ट आत्मा व दुष्ट ग्रह से बचाने के लिए, अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए, वाक सिद्धि के लिए, कवित्व शक्ति प्राप्त करने तथा राज्य प्राप्ति के लिए किया जाता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र की कम से कम 9,11,21 माला का जप काले हकीक की माला से किया जाना चाहिए। मंत्र निम्न प्रकार है-
दस महाविद्याओं में दि्वतीय तारा को तारिणी भी कहा जाता है। जिस पर इनकी कृपा हो जाएं वो न केवल समस्त कष्टों से वरन इस भवसागर से ही पार हो जाता है, इसी से इन्हें तारिणी भी कहा जाता है। इनकी आराधना से बुद्धि अत्यन्त प्रखर हो उठती हैं और वाक् सिद्धी भी प्राप्त होती हैं। परन्तु इनका मंत्र ऋषियों द्वारा शापित तथा अत्यन्त प्रबल हैं, अतः योग्य गुरु की देखरेख में ही इनकी साधना आरंभ करनी चाहिए। इनके मंत्र का जाप लाल मूंगा या स्फटिक की माला से किया जाता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का 11 माला जप करना चाहिए।
श्रीविद्या के नाम से प्रख्यात त्रिपुर सुंदरी महाविद्या दस महाविद्या साधना की पूर्णता को प्राप्त कराती हैं। इनका साधक स्वयं ही शिवमय होता है और वह अपने इशारे मात्र से जो चाहे कर सकता है। इनकी उपासना से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए रूद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का कम से कम 10 माला जप करना चाहिए।
मां भुवनेश्वरी क्षण मात्र में प्रसन्न होने वाली देवी है जो उक्त की किसी भी इच्छा को पलक झपकते पूरा कर सकती है। परन्तु एक बार ये रूठ जाएं तो इन्हें मनाना अत्यन्त कठिन होता है, अतः इनके भक्तों को कभी किसी सज्जन, स्त्री अथवा जीव को नहीं सताना चाहिए। इन्हें प्रसन्न करने के लिए स्फटिक की माला से निम्न मंत्र का कम से कम ग्यारह या इक्कीस माला का जप कर मां भुवनेश्वरी की आराधना करनी चाहिए। मंत्र निम्न प्रकार है-
दस महाविद्याओं में सर्वाधिक उग्र साधना छिन्नमस्ता की मानी गई है। इनकी आराधना तुरंत फलदायी है। मां छिन्नमस्ता की आराधना शत्रु को परास्त करने के लिए, रोजगार में सफलता के लिए, नौकरी में पदोन्नति के लिए, कोर्ट केस में विजय के लिए तथा कुंडली जागरण के लिए की जाती है। इनकी साधना किसी योग्य व अनुभवी गुरु के दिशा-निर्देश में ही करनी चाहिए क्योंकि अत्यन्त उग्र होने के कारण जरा सी भी असावधानी साधक की मृत्यु का कारण बन सकती है। इनकी प्रसन्नता के लिए रूद्राक्ष या काले हकीक की माला से निम्न मंत्र का न्यूनतम 11 या 21 माला मंत्र जप करना चाहिए।
दस महाविद्याओं में त्रिपुर भैरवी महाविद्या को श्रीविद्या अथवा गुप्त गायत्री विद्या भी कहा जाता है। इनकी आराधना से भक्त स्वयं ही शक्ति स्वरूप बन जाता है और उसके इशारे मात्र से ही ब्रह्मांड की शक्तियां कार्य करने लगती हैं। इनकी साधना भी तुरंत फलदायी है और इनकी कृपा से बड़ी से बड़ी तांत्रिक शक्तियां भी साधक का कुछ नहीं बिगाड़ पाती हैं। मां त्रिपुरभैरवी को प्रसन्न करने के लिए मूंगे की माला से निम्न मंत्र का कम से कम 15 माला मंत्र जप करना चाहिए।
एक मात्र धूमावती महाविद्या ही ऐसी साधना है जो किसी मंदिर अथवा घर में नहीं की जाती वरन किसी श्मशान में की जाती हैं। इनका स्वरूप विधवा तथा अत्यन्त रौद्र है। इन्हें अलक्ष्मी भी कहा गया है। ये जीवन में आने वाले किसी भी संकट अथवा जादू-टोना, भूत-प्रेत, अन्य नकारात्मक शक्तियों को पलक झपकते खत्म कर देती है। मां धूमावती को प्रसन्न करने के लिए मोती की माला या काले हकीक की माला से निम्न मंत्र का कम से कम नौ माला जप करना चाहिए।
वाकसिद्धी के लिए बगलामुखी महाविद्या से बढ़कर अन्य कोई साधना नहीं है। इनकी आराधना से प्रबल से प्रबल शत्रु भी जड़ सहित नष्ट हो जाता है। इन्हें ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु की संहारक शक्ति है। इनकी आराधना कोर्ट कचहरी में विजय, शत्रु का नाश, सरकारी अधिकारियों को अनुकूल बनाने तथा अन्य कहीं भी सफलता पाने के लिए की जाती है। इनके वरदान से व्यक्ति जो भी कह दें, वहीं सच होने लगता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए हल्दी की माला से निम्न मंत्र का कम से कम 16 या 21 माला मंत्र का जप करना चाहिए।
गृहस्थ जीवन में आ रहे किसी भी संकट को दूर करने के लिए मां मातंगी महाविद्या की साधना अत्यन्त उपयोगी मानी गई है। इनकी कृपा से सभी बिगड़े काम अपने आप ही बनते चले जाते हैं। इनकी आराधना युवक-युवतियों के शीघ्र विवाह हेतु, पुत्र प्राप्ति के लिए, सौभाग्य प्राप्ति के लिए, अकस्मात आए संकट दूर करने आदि कार्यों के लिए की जाती है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए स्फटिक की माला से निम्न मंत्र का कम से कम 12 माला मंत्र जप करना चाहिए।
सभी दस महाविद्याओं में कमला महाविद्या सर्वाधिक सौम्य साधना है। दीवाली पर इन्हीं की आराधना की जाती है। साक्षात महालक्ष्मी का आव्हान करने के लिए ही मां कमला की पूजा करनी चाहिए। मां कमला की प्रसन्नता से ही इस विश्व का कार्य-व्यापार चल रहा है और इन्हीं की आराधना से व्यक्ति को समस्त प्रकार के सुख-सौभाग्य, रिद्धि-सिद्धी, अखंड धन भंडार की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना के लिए साधक को कमलगट्टे की माला से निम्न मंत्र का कम से कम 10 अथवा 21 माला मंत्र जप करना चाहिए।