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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि पर क्यों बोया जाता है जौ, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Chaitra navratri 2023: Why do we grow barley in navratri, significance: कहा जाता है कि मां यदि नाव पर सवारी करते हुए पृथ्वी पर आती हैं, तो यह धन-धान्य से लेकर सुख-सुविधाओं में समृद्धि की ओर इशारा करता है। इसलिए इस बार मां शुभता का आशीर्वाद देने पृथ्वी पर आ रही हैं। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. अमर अभिमन्यु डब्बावाला के मुताबिक इस बार मां दुर्गा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेकर आ रही हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें नवरात्रि में क्यों है जौ बोने की परम्परा, क्या है इसका महत्व, कैसे इनके उगने से माना जाता है सब रहेगा शुभ या होगा कुछ अशुभ…

Mar 17, 2023 / 11:34 am

Sanjana Kumar

Chaitra navratri 2023: Why do we grow barley in navratri, significance: इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से होने जा रही है। बुधवार के दिन मां पृथ्वी पर आगमन करेंगी। माना जाता है कि यदि बुधवार के दिन मां पृथ्वी पर आती हैं तो वह नाव की सवारी कर पृथ्वी लोक पर आती हैं। मां का नाव की सवारी पर पृथ्वी लोक पर गमन करना बेहद शुभ फलदायी और अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है। कहा जाता है कि मां यदि नाव पर सवारी करते हुए पृथ्वी पर आती हैं, तो यह धन-धान्य से लेकर सुख-सुविधाओं में समृद्धि की ओर इशारा करता है। इसलिए इस बार मां शुभता का आशीर्वाद देने पृथ्वी पर आ रही हैं। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. अमर अभिमन्यु डब्बावाला के मुताबिक इस बार मां दुर्गा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेकर आ रही हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें नवरात्रि में क्यों है जौ बोने की परम्परा, क्या है इसका महत्व, कैसे इनके उगने से माना जाता है सब रहेगा शुभ या होगा कुछ अशुभ…

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सबसे पवित्र दिन माने जाते हैं नवरात्रि के ये दिन
आपको बता दें कि नवरात्रि के ये नौ दिन बहुत ही पवित्र माने गए हैं। नवरात्रि के इन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिनों में लोग अपने घर में अखंड दीपक जलाते हैं। मां जगदंबे की पूजा आराधना करते हैं। नवरात्रि में पूजा और व्रत के अलावा कलश स्थापना और जवारे या जौ बोने का भी विशेष महत्व माना गया है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना या कलश स्थापना की जाती है। इसके साथ ही जौ बोए जाते हैं। नवरात्रि में मिट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी है। यही नहीं इसके बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी ही मानी जाती है।

 

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पृथ्वी की सबसे पहली फसल है जौ
धर्मग्रंथों की बात करें तो जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तब वनस्पतियों में जो फसल सबसे पहले विकसित की गई, वह जौ की फसल थी। यही वजह है कि जौ अन्न को ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है और अन्न का सम्मान किया जाना चाहिए। यही कारण है कि जौ को पूजा में काम में लिया जाता है और नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दिन सबसे पहले जौ की पूजा का ही विधान है। वरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोने की परम्परा है। यही नहीं जब भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है या हवन किया जाता है तो जौ ही अर्पित किए जाते हैं।

 

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नवरात्रि में उगने वाले जौ से मिलते हैं ये संकेत

– नवरात्रि में बोया जाने वाला जौ दो से तीन दिन में ही अंकुरित हो जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यदि ये जौ दो-तीन दिन में अंकुरित न हों तो इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता। इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि आपको कड़ी मेहनत के बाद भी उसका फल नहीं मिलेगा।
– वहीं यदि जौ के उग जाने के बाद जब जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो तो माना जाता है कि साल का आधा समय आपके लिए ठीक रहेगा, लेकिन बाद का समय कुछ मुश्किलों से भरा होगा।
– वहीं यदि जौ सफेद या हरे रंग में उग रहा है, तो यह शुभता का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि यदि ऐसा जौ उग रहा है तो आपकी पूजा सफल हो गई। इसका अर्थ यही है कि भविष्य में आपको खुशियां ही खुशियां मिलेंगी।

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