बुद्ध जयंती
वर्तमान में पूरी दुनिया में लगभग 180 करोड़ लोग बुद्ध के अनुयायि हैं। भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं, फूलों से घर सजाते हैं। प्रार्थनाएं करते हैं, बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है।
सत्य का ज्ञान
भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को ही हुआ था। भगवान बुद्ध ऐसी महान दिव्य आत्मा थी जिन्हें आज भी लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। इसी कारण वैशाख मास की इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। लेकिन बुद्ध पूर्णिमा का संबंध बुद्ध के साथ केवल जन्म भर का नहीं है बल्कि इसी पूर्णिमा तिथि को कई वर्षों तक वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ था।
बुद्धत्व की प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण
इसी दिन यानी वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद ही महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरी दुनिया में एक नई रोशनी पैदा की और पूरी दुनिया को सत्य एवं सच्ची मानवता का पाठ पढ़ाया। वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि के दिन ही कुशीनगर में भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी हुआ था। यह अपने आप में सबसे दुर्लब संयोग ही था की उनका जन्म, उन्हें सत्य का ज्ञान और उनका महापरिनिर्वाण एक ही तिथि वैशाख पूर्णिमा को हुआ।
बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार
भगवान बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये आराध्य नहीं है बल्कि उत्तरी भारत में गौतम बुद्ध को हिंदुओं में भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार भी माना जाता है। विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण माने जाते हैं। हालांकि दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है। दक्षिण भारतीय बलराम को विष्णु का आठवां अवतार तो श्री कृष्ण को 9वां अवतार मानते हैं। हिंदुओं में भी वैष्णवों में बलराम को 8वां अवतार माना गया है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी भगवान बुद्ध के विष्णु के अवतार होने को नहीं मानते। लेकिन इन तमाम पहुओं के बावजूद वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा भी पूरी श्रद्धा व भक्ति के लिये भी बुद्ध पूर्णिमा खास पर्व मनाया जाता है।
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