2.दोपहर के वक्त शुभ मुहूर्त में स्नान आदि कर यम आदि देवता को अर्घ्य देकर आटे से चौक तैयार कर चौक में भाई को बिठाएं और पूजा करें। 3.भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उस पर थोड़ा सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपाड़ी, मुद्रा आदि हाथ में रखकर धीरे-धीरे पानी छोड़ें।
4. फिर हाथ में कलावा बांधें, नारियल दें, भाई का तिलक करें और आरती उतारें। 5. इसके बाद माखन मिश्री से मुंह मीठा कराएं, भोजन कराएं, पान खिलाएं, भाई उपहार दें। 6. आखिर में शाम को बहनें यमराज के नाम से चौमुखा दीया जलाकर घर के बाहर रखें, इस समय दीये का मुंह दक्षिण दिशा की ओर रहे।
7. मान्यता है कि इस दिन आसमान में चील दिखे तो बहन को उसे देखकर जरूर प्रार्थना करनी चाहिए इससे उनकी प्रार्थना पूरी हो जाती है। साथ ही उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
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इन बातों का भी रखें ध्यान
1.तिलक के वक्त भाई का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए। मान्यता है कि इससे भाई के जीवन में सफलता समृद्धि आती है और उसकी सुरक्षा होती है। 2. तिलक के लिए चावल रोली, मिठाई या माखन मिश्री की व्यवस्था पहले कर लेनी चाहिए। 3. तिलक के वक्त एक दीपक जलाएं और भाई के सामने रखें, फिर रोली,चावल से तिलक कर लंबी उम्र की कामना करें। तिलक लगाते वक्त मन के विचार शुद्ध रहें।
4. भद्रा काल में भूलकर भी तिलक न करें, तिलक के लिए शुभ समय का ध्यान रखें। 5. तिलक के लिए भाई बहन दोनों को स्वच्छ आसन पर बैठना चाहिए। ये भी पढ़ेंः