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Bhai Dooj Muhurt: शोभन और सौभाग्य योग में मनाई जाएगी भाई दूज, जानें मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Bhai Dooj Muhurt 2024: भाई बहन के त्योहार की बात जब आती है तो जुबान पर रक्षाबंधन का नाम आता होगा, लेकिन भाई दूज के त्योहार की महत्ता इससे कम नहीं है। इस साल भाई दूज शोभन और सौभाग्य योग में मनाई जाएगी। आइये जानते हैं महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि (bhai dooj puja vidhi)..

जयपुरNov 03, 2024 / 10:47 am

Pravin Pandey

Bhai Dooj Muhurt 2024: भाई दूज मुहूर्त 2024

Bhai Dooj Muhurt 2024: पंच दिवसीय दीपोत्सव का आखिरी पर्व है भाई दूज, यह दिवाली के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य पुत्र यम और यमुना से जुड़ा है। इस त्योहार को भैया दूज,  भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है।
 इस दिन भाई बहनों के घर जाते हैं, यहां बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। उन्हें भोजन कराती हैं, लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। भाई बहनों को उपहार देते हैं और आशीर्वाद के साथ हमेशा साथ देने का वादा करते हैं।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस बार 3 नवंबर 2024 को भाई दूज पर्व मनाया जाएगा। खास बात यह है कि यह पर्व दो बेहद शुभ योगों में मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग है और इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा।


भाई दूज का मुहूर्त (Bhai Dooj Puja Muhurt)

कार्तिक शुक्ल द्वितीया का आरंभः 2 नवंबर को रात 8:22 बजे से

कार्तिक शुक्ल द्वितीया का समापनः 3 नवंबर को रात 10:06 बजे तक

भाई दूज का पर्वः 3 नवंबर को (उदयातिथि के आधार पर)
सौभाग्य योगः सुबह 11.39 बजे तक

शोभन योगः सौभाग्य योग के बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा।

भाई दूज पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्तः सुबह 11:45 बजे तक ।

अपराह्न पूजा का मुहूर्तः दोपहर 1.10 से दोपहर 3.22 बजे तक।
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भाई दूज पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi)

भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार भाई दूज पर दोपहर बाद शुभ मुहूर्त में भाई बहन यमराज चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करें और अर्घ्य दें। इससे पहले संभव हो तो सुबह यमुना में स्नान कर सबको अर्घ्य दें। बहन, भाई की आयु वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें। इसके बाद बहन, भाई को भोजन कराएं और तिलक लगाएं।
इसके बाद भाई अपनी बहन को अपनी इच्छा के अनुसार उपहार दें। इस दिन सभी बहनें अपने हाथ से भाई को भोजन कराएं तो उसकी उम्र बढ़ती है। साथ ही उसके जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। साथ ही बहन को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।
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यमुना और यमराज की पूजा का महत्व (Yam Yamuna Ki Puja)


प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। भाई को आया देख यमुना ने उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर आदर सत्कार किया।
बहन का प्रेम देखकर यमराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस तिथि पर यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के बाद उसे यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ेगी। तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण में लिखा है कि यमराज को प्रसन्न कर, पूजन करने वाले की हर कामना पूरी होती है।
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