भगवान कृष्ण की यह सुमधुर स्तुति हर काम में दिलाती है विजयश्री, करती है हर कामना पूरी
हलछठ व्रत पर्व की कथा
एक प्राचीन कथानुसार, महाभारत के महायुद्ध में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु के बाद, द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने पांचों पाण्डवों और द्रौपदी के पांच पुत्रों को सोते समय मारकर महा पाप किया था। इसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु पर कर दिया। सभी पांडवों ने अपने वंश के आखरी गर्भस्थ शिशु की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगी।
भगवान बलराम का पूजन ही एक मात्र उपाय
उत्तरा के गर्भस्थ शिशु की अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उपाय बताते हुए कहा कि आज ही यानी की भाद्र मास के कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि को बड़े भैय्या बलदाऊ श्री बलराम जी का जन्म हुआ था। श्री बलराम जा ही समस्त धरा (पृथ्वी) के गर्भ के रक्षक है, अतः तुम शीघ्र दाऊ की शरण में जाकर उनका विधि विधान से पूजा करके उनसे अपने गर्भ की रक्षा करने का वरदान मांगों।
हलछठ बलराम जयंती पूजा विधि- 21 अगस्त 2019
प्रसन्न हो गये बलदाऊ
भगवान श्रीकृष्ण के ऐसा बताने पर उत्तरा एवं सभी पांडवों ने वैसा ही किया और श्री बलराम जी ने प्रसन्न होकर इच्छा पूर्ति का वरदान दे दिया। तदुपरान्त उत्तरा को परीक्षित नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। ठीक इसी तरह भादो मास के कृष्ण पक्ष षष्ठी को शेषनाग जी के अवतार भगवान बलरामजी हलधर का जो भी पूजन करता है उनकी संतानों की रक्षा श्री बलरामजी करते हैं।
ऐसे करें पूजन
श्री बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल है इसलिये इस व्रत को हलषष्ठी भी कहते हैं। बलराम जयंती के दिन व्रत करने वाले व्रती हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का सेवन नहीं करते। इस दिन महिलाएं तालाब में उगे पसही/तिन्नी का चावल/पचहर के चावल खाकर व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती व्रत में गाय का दूध व दही का प्रयोग नहीं करती, इस दिन महिलाएं केवल भैंस का दूध, घी व दही इस्तेमाल ही करती है| यह व्रत भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी या हर छठ किया जाता है।
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