अक्षय तृतीया के दिन पितरों का तर्पण करें
पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता है।
पूजा विधि
अक्षय तृतीया तिथि के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करें तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं। इस शुभ दिन ब्राह्ममुहूर्त में स्नान करके, श्वेत वस्त्र पहनकर भगवान श्री विष्णु का षोडशोपचार विधि से विधिवत पूजन करना चाहिए। श्री भगवान के साथ मात लक्ष्मी का भी पूजन करने से जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता। इस दिन भगवान विष्णु सफेद पुष्प अर्पित करना चाहिए।
अक्षय तृतीया पर्व पूजा शुभ मुहूर्त
– अक्षय तृतीया पर्व रविवार 26 अप्रैल 2020
– अक्षय तृतीया तिथि का आरंभ शनिवार 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 51 पर हो जाएगा
– अक्षय तृतीया तिथि का समापन रविवार को दोपहर 1 बजकर 22 पर होगा।
अक्षय तृतीया के दिन बिना कोई पंचांग, शुभ मुहूर्त देखें कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
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