हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। धार्मिक रूप से विशेष महत्व रखने वाली अक्षय तृतीया वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया तिथि 26 अप्रैल, रविवार को पड़ रही है।
इस साल की अक्षय तृतीया कई मयानों में विशेष रहने वाली है। अक्षय तृतीया पर इस साल 6 राजयोग बन रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र के साथ अबूझ मुहूर्त पड़ रहा है जो बेहद शुभ माना जा रहा है। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खास शुभ मुहूर्त में ही पूजा करने का विधान है।
अक्षय तृतीया का मुहूर्त-
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)
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1. वैशाख मास में शुक्लपक्ष की तृतीया अगर दिन के पूर्वाह्न (प्रथमार्ध) में हो तो उस दिन यह त्यौहार मनाया जाता है।
2. यदि तृतीया तिथि लगातार दो दिन पूर्वाह्न में रहे तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है, हालाँकि कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि यह पर्व अगले दिन तभी मनाया जायेगा जब यह तिथि सूर्योदय से तीन मुहूर्त तक या इससे अधिक समय तक रहे।
3. तृतीया तिथि में यदि सोमवार या बुधवार के साथ रोहिणी नक्षत्र भी पड़ जाए तो बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन घर के सभी स्वर्ण आभूषणों को कच्चे दूध और गंगाजल से धोने के बाद उन्हें एक लाल कपड़े पर रखकर केसर, कुमकुम से उनका पूजन करें। पूजन करते समय उन पर लाल फूल भी चढ़ाएं। ऐसा करने के बाद महालक्ष्मी के मंत्र ‘ऊं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मयै नम:” मंत्र की एक माला कमलगट्टे की माला से जाप करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती करें। शाम को इन आभूषणों को तिजोरी में रख दें।
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अक्षय तृतीया के दिन पुण्य की तरह व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप,अत्याचार, और किसी को पहुंचाई गई पीड़ा आदि के द्वारा कमाए गए पाप कर्म के परिणाम भी अक्षुण रहते हैं।
अक्षय तृतीया पर किसी भी प्रकार का अत्याचार, दुराचार, और किसी की पीड़ा न पहुंचाना आदि के परिणाम से होने वाला पाप कर्मफल भी अक्षुण रहता है। मान्यता है कि अगर अक्षय तृतीया के दिन कोई गलत कार्य किया जाता है तो उसका पाप हर जन्म में जीव का पीछा करता रहता है। ऐसे में शास्त्रों में इस दिन जीवात्माओं को अत्यंत ही सावधानी बरतने वाला बताया गया है। अक्षय तृतीया पर किसी भी प्रकार का सेंधा आदि व्रती नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
अक्षय तृतीया : मान्यताएं
यह तिथि सभी तरह के शुभ कार्यों को संपन्न करने के लिए शुभ मानी जाती है। वैवाहिक कार्यक्रम, धार्मिक अनुष्ठान, गृह प्रवेश, व्यापार, जप-तप और पूजा-पाठ करने के लिए यह अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ मानी गयी है। इस दिन दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इसदिन दान का पुण्य लाभ अक्षय रहता है यानी कभी नष्ट नहीं होता है।
दुनिया में कोरोना वायरस के फैलाने के कारण इस बार अक्षय तृतीया की पूजा घर पर करना श्रेष्ठ रहेगा। इस बार अक्षय तृतीया व्यापिनी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से 26 अप्रैल को मनाया जाएगा।
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अक्षय तृतीया से जुड़ी बातें
– मान्यता है सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया की तिथि पर हुई थी।
– अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम भगवान का जन्म हुआ था।
– अक्षय तृतीया की पावन तिथि पर ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था।
– अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास जी ने महाभारत ग्रंथ लिखना आरंभ किया।
– बदरीनाथ धाम के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं।
– अक्षय तृतीया पर वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
सभी तरह की शुभ तिथियों में अक्षय तृतीया का महत्व काफी अधिक है। इस तिथि पर किए गए किसी भी शुभ कार्य में सफलता जरूर मिलती है। स्वयं माता पार्वती ने धर्मराज को बताया। माता पार्वती ने कहा कि स्वयं यह व्रत करके मैं भगवान शिव के साथ आनंदित रहती हूं।
ऐसे में कन्याओं को भी उत्तम पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धा-भाव के साथ करना चाहिए। जिस महिला को अभी तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाई है, उसे भी इस व्रत को करके माता के आशीर्वाद से इस सुख की प्राप्ति हो सकती है।
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ऐसे लाभ पाएं…हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अक्षय तृतीया 26 अप्रैल 2020, रविवार को मनाई जाएगी। यह भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है। इसके साथ ही तंत्र-मंत्र, सिद्धि, दान-पूजा इत्यादि का अक्षय लाभ इस दिन करने पर प्राप्त होता है, ऐसी शास्त्रीय मान्यता है।