दोनों दिन रात में अष्टमी पड़ने से भक्तों के बीच में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है। जहां कुछ लोग जन्माष्टमी की तिथि 29 अगस्त बता रहे हैं,वहीं अधिकांश इस बार जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाए जाने की बात कर रहे हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत में अन्न का एक दाना भी खाना वर्जित माना जाता है। वहीं इस व्रत को एक निश्चित अवधि के बाद खोला जाता है। जानकारों के अनुसार यह व्रत अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद खोलने का नियम है। वहीं सूर्योदय के बाद भी यदि इन दोनों में से कोई भी मुहूर्त समाप्त नहीं हुआ है तो व्रत सूर्यास्त के बाद खोला जाता है। वहीं यदि अष्टमी तिथि या रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी एक मुहूर्त पहले समाप्त हो जाए तो उस समय के बाद व्रत के पारण की मान्यता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: मुहूर्त के नियम पंडित शुक्ला के अनुसार जन्माष्टमी gokulashtami में दिन के मुहूर्त को लेकर भी कुछ खास नियम हैं, जिनके अनुसार- : जन्माष्टमी Janmashtami व्रत उस समय पहले दिन किया जाता है जिस बार पहले ही दिन आधी रात को अष्टमी विद्यमान हो। जबकि दूसरे ही दिन आधी रात को ही अष्टमी व्याप्त होने पर जन्माष्टमी का व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
: इसके अलावा अष्टमी gokulashtami के दोनों दिन की आधी रात को व्याप्त होने पर रोहिणी नक्षत्र का योग देखा जाता है,ऐसे में जिस एक अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र हो तो जन्माष्टमी व्रत उसी रात किया जाता है।
: वहीं अष्टमी Krishna jayanti आधी रात को यदि दोनों दिनों में विद्यमान हो और दोनों ही अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र भी मौजूद रहे तो भी जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
: आधी रात को अष्टमी Krishna Ashtami यदि दोनों दिन व्याप्त हो और दोनों ही अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र का योग न हो तो भी जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन ही किया जाता है।
: यदि दोनों दिन आधी रात को अष्टमी व्याप्त न हो तो भी जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।
जानकारों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी Janmashtami पर इस बार जयंती योग के दुर्लभ संयोग के बीच 30 अगस्त को भक्त इस बार उपवास रखते हुए भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा करेंगे। साथ ही, भक्त भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव Krishna Jayanti को मनाने के लिए अपने घर के मंदिर को सजाएंगे। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक भगवान कृष्ण की यह 5248वीं जयंती होगी।