फर्रुखाबाद

शिव भक्ति से खास रिश्ता रखने वाले फर्रूखाबाद की स्थापना इस मुगल शासक ने की थी, जानें और भी बातें

इस मुगल शासक ने 1714 में की थी फर्रूखाबाद की स्थापना।

फर्रुखाबादJun 19, 2018 / 01:29 pm

Mahendra Pratap

शिव भक्ति से खास रिश्ता रखने वाले फर्रूखाबाद की स्थापना इस मुगल शासक ने की थी, जानें और भी बातें

फर्रूखाबाद. उत्तर प्रदेश का फर्रूखाबाद एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है, जिसमें गंगा-जमुनी ताहज़ीब की परंपराओं द्वारा परिभाषित समृद्ध संस्कृति है, जो हिंदू और मुस्लिम सांस्कृतिक प्रथाओं, अनुष्ठानों, लोक और भाषाई परंपराओं के पहलुओं को जोड़ती है। इस जगह की स्थापना 1714 में नवाब मोहम्मद खान बंगाश (1665-1743) ने की थी, जिसने इसे मुगल सम्राट फररुखियार के शासनकाल के नाम पर रखा गया था।
फर्रूखाबाद का प्राचीन मंदिर

जिले की संस्कृति का शिव भक्ति से खास रिश्ता है। पतित पावनी मां भागीरथी के तट पर बसे फर्रूखाबाद शहर में सबसे प्राचीन मंदिर पंडाबाग है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी। इस मंदिर में भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग स्थापित है और साथ ही अन्य देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इसके अलावा उत्तर मुगलकालीन समय के यहां पर कई मंदिर हैं, जो कि सौंदर्य और स्थापना कला की महत्वपूर्ण उदाहरण है। यहां पर ज्योतिर्लिंग मठ, द्वादश ज्योतिर्लिंग धाम, कोतवालेश्वर महादेव, महाकाल मंदिर के अलावा कंपिल में रामेश्वर नाथ मंदिर है। इस मंदिर के बारे में यहां के लोगों का मानना है कि इस शिवलिंग को भगवान राम के शत्रुघ्न ने स्थापित किया था।
धार्मिक आस्था और भौगोलिक स्थिति को देखकर फर्रूखाबाद में काशी (बनारस) से काफी समानताएं हैं। इस शहर में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्थित शिवालयों की एकरूपता देखकर कहा जा सकता है कि यहां पर बगवान शिव के भक्तों की संख्या बहुत है।
ऐसी है काशी से समानताएं

पौराणिक गलि वाराणसी की ही तरह यहां भी गली-गली में शिवालय स्थित है। काशी की ही तरह यहां पांचाल घाट (घटिया घाट) पर ऐतिहासिक विश्रांते और पक्के घाट बने हुए हैं।
जानिये कम्पिल के बारे में

फर्रूखाबाद जिलां के मंदिरों की प्राचीन और ऐतिहासिक कहानियां हैं, तो वहीं इसकी संस्कृति का गंगा नदी से अटूट रिश्ता है। यहां से उत्तर पश्चिम दिशा में 45 किलो मीटर की दूरी पर एक जगह है, जिसका नाम कम्पिल है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से कई मायनों में महत्वपूर्ण है। महाभारत में इसा उल्लेख द्रौपदी के स्वयंवर के समय किया गया है कि राजा द्रुपद ने द्रौपदी स्वयंवर यहाँ आयोजित किया था।
व्यापार का प्रमुख केंद्र

कम्पिल पांचाल देश की राजधानी है, जहां पर 36 विश्रांत घाट बने हुए हैं। इन विश्रांतों का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन काल के लिए इस्तेमाल किया जाता था। एक समय था जब फर्रुखाबाद उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत से गंगा नदी प्रणाली के माध्यम से पूर्वी की तरफ नदी के व्यापार का प्रमुख केंद्र था। यहां कलकत्ता से लेकर गढ़मुक्तेशवर तक व्यापारी बड़ी नांव चला कर आया करते थे। यहां नमक, नीम, अफीम, कपड़ा, सोरा और बर्तन के उद्योग का व्यापार होता था। यही नहीं बल्कि कोई भी विशेष पर्व जैसे गंगा मेला, माघ मेला और सामाजिक उत्सव में इन घाटों पर अपार भीड़ लगा करती थी।

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