31 अगस्त, 1995 को हुई थी हत्या सरदार बेअंत सिंह का जन्म 19 फ़रवरी 1922 को हुआ था। उनकी शिक्षा लहौर में हुई। सरदार बेअंत सिंह सेना में थे। 23 वर्ष की आयु में सेना की नौकरी छोड़कर समाजसेवा के बाद राजनीति में सक्रिय हुए। 1960 में बिलासपुर गाँव के सरपंच चुने गए। इसके साथ ही उनका राजनीति में पदार्पण हो गया। 1969 में पहली बार निर्दलीय के रूप में विधायक चुने गए। वे पांच बार विधायक, पंजाब सरकार में मंत्री, पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। वे 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। खालिस्तानी आतंकवादियों ने कार में बम लगाकर 31 अगस्त, 1995 को हत्या कर दी थी। उस समय उनकी उम्र 73 साल थी। पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में सरदार बेअंत सिंह ने राज्य को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। इसी कारण आतंकवादी उनसे खफा थे। डाक विभाग ने 18 दिसम्बर 2013 को सरदार बेअंत सिंह के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
यह भी पढ़ें Corona से बिगड़े हालातः राज्य में अब तक 1404 मौतें, 551 लोगों की हालत गंभीर पंजाब में शांति बहाली के लिए बलिदान दिया स. कोटली ने बताया कि पंजाब के 12वें मुख्यमंत्री स. बेअंत सिंह ने पंजाब में शान्ति बहाली और आपसी सद्भावना के लिए बलिदान दिया। अपने दादा के साथ बिताई गईं यादों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि स. बेअंत सिंह द्वारा दिखाए गए नैतिक-मूल्य उनके जीवन का सदा हिस्सा रहेंगी। स. बेअंत सिंह की निडर मुख्यमंत्री के तौर पर निभाई गईं सेवाओं को पंजाब के लोग हमेशा याद रखेंगे और उनको हमेशा अपने काम को समर्पित नेता के तौर पर जाना जाता रहेगा।
पंजाब के भले के लिए प्रार्थना करें विधायक ने कहा कि चार दशक तक लोगों के हितों की रक्षा करने वाले स. बेअंत सिंह की 31 अगस्त को 25वीं पुण्यतिथि के मौके पर पंजाब निवासी अपने-अपने घरों में रह कर दिवंगत नेता को श्रद्धाँजलि दें और पंजाब के भले के लिए प्रार्थना करें। स. कोटली ने कहा कि दिन-ब-दिन बढ़ रहे कोरोना के खतरे के सम्मुख लोगों के बचाव के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कुछ लाजि़मी पाबंदियाँ लागू की हैं। लोगों की सुरक्षा के मद्देनजऱ पूर्व मुख्यमंत्री स. बेअंत सिंह के परिवार ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को ‘सर्व धर्म सम्मेलन’ न कराने का अपील की थी, जिसके उपरांत यह फ़ैसला लिया गया।