बारिश के मौसम में बढ़ जाती हैं घटनाएं
स्वास्थ्य विभाग की माने तो जिले का बड़ा भाग जंगल से आच्छादित है, जिसमें सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं। विशेषकर बारिश में जहरीले सांप, बिच्छु व अन्य कीड़ों के काटने का खतरा बढ़ जाता है। सर्पदंश जैसे प्रकरणों में सही समय में सही उपचार न मिले तो जान से हाथ धोना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलेंस इकाई (महामारी नियंत्रण) ने अलर्ट जारी किया है। यह भी पढ़ें
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कमजोर आय वर्ग वाले अधिक प्रभावित
वर्तमान स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार सर्पदंश से ज्यादातर कमजोर आय वर्ग व रहन-सहन वाले लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं। खेतों, बगीचों, गोदामों में काम करने वाले एवं बच्चों को सर्पदंश का ज्यादा खतरा रहता है।चार प्रजातियों के सर्प दंश के मामले
जिला सर्विलेंस इकाई के मुताबिक भारत में मुख्य 4 प्रजातियों के विषैले सर्प के दंश से लोग प्रभावित होते हैं। नाग, करैत, जर्दरा एवं फुरसा। सांप बारिश के मौसम में खाने व ब्रीडिंग के लिए ज्यादा बाहर निकलते हैं। सांपों में दो तरह के विष होते हैं, एक जो तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है और दूसरा रक्त को। यह भी पढ़ें
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सांप के प्रकार याद रखने से उपचार में आसानी
संर्पदश के लक्षण डसने वाले जगह पर निशान, दर्द, खून बहना, अंग में सूजन आना, कभी कभी निशान दिख नहीं पाता। सांप के प्रकार भी याद रखने में उपचार में आसानी होती है।खतरे के निशान
नाक, मुंह मसूड़ों से खून, जीभ का बाहर न निकाल पाना, बोलने व सांस लेने में परेशानी, हाथ पैर का कमजोर हो जाना आदि शरीर पर असर होता है। मरीज का आंखें न खोल पाना गर्दन न संभाल पाना, सांस लेने में दिक्कत खतरे के निशान है। यह भी पढ़ें