Exclusive

सर्प दंश : अब तक 16 लोग हो चुके शिकार, अलर्ट जारी

बालोद जिले में सर्प दंश के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब जिला स्वास्थ्य विभाग ने बचाव के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। जिले में इस साल अब तक 16 लोगों को सांप डस चुका है।

बालोदOct 25, 2024 / 10:30 pm

Chandra Kishor Deshmukh

Snake bite बालोद जिले में सर्प दंश के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब जिला स्वास्थ्य विभाग ने बचाव के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। जिले में इस साल अब तक 16 लोगों को सांप डस चुका है। यहां आंकड़ा और भी ज्यादा हैं, लेकिन यह सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के पास आए आंकड़े हैं।

बारिश के मौसम में बढ़ जाती हैं घटनाएं

स्वास्थ्य विभाग की माने तो जिले का बड़ा भाग जंगल से आच्छादित है, जिसमें सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं। विशेषकर बारिश में जहरीले सांप, बिच्छु व अन्य कीड़ों के काटने का खतरा बढ़ जाता है। सर्पदंश जैसे प्रकरणों में सही समय में सही उपचार न मिले तो जान से हाथ धोना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलेंस इकाई (महामारी नियंत्रण) ने अलर्ट जारी किया है।
यह भी पढ़ें

मोबाइल की डिमांड नहीं हुई पूरी तो छात्र ने कर लिया जहर सेवन, इलाज के दौरान मौत

कमजोर आय वर्ग वाले अधिक प्रभावित

वर्तमान स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार सर्पदंश से ज्यादातर कमजोर आय वर्ग व रहन-सहन वाले लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं। खेतों, बगीचों, गोदामों में काम करने वाले एवं बच्चों को सर्पदंश का ज्यादा खतरा रहता है।

चार प्रजातियों के सर्प दंश के मामले

जिला सर्विलेंस इकाई के मुताबिक भारत में मुख्य 4 प्रजातियों के विषैले सर्प के दंश से लोग प्रभावित होते हैं। नाग, करैत, जर्दरा एवं फुरसा। सांप बारिश के मौसम में खाने व ब्रीडिंग के लिए ज्यादा बाहर निकलते हैं। सांपों में दो तरह के विष होते हैं, एक जो तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है और दूसरा रक्त को।
यह भी पढ़ें

बालोद और दल्लीराजहरा स्टेशन बनेंगे सुविधाजनक, चौड़े फुटओवर ब्रिज भी होंगे

सांप के प्रकार याद रखने से उपचार में आसानी

संर्पदश के लक्षण डसने वाले जगह पर निशान, दर्द, खून बहना, अंग में सूजन आना, कभी कभी निशान दिख नहीं पाता। सांप के प्रकार भी याद रखने में उपचार में आसानी होती है।

खतरे के निशान

नाक, मुंह मसूड़ों से खून, जीभ का बाहर न निकाल पाना, बोलने व सांस लेने में परेशानी, हाथ पैर का कमजोर हो जाना आदि शरीर पर असर होता है। मरीज का आंखें न खोल पाना गर्दन न संभाल पाना, सांस लेने में दिक्कत खतरे के निशान है।
यह भी पढ़ें

इस गांव में एक सप्ताह पहले मनाया जाता है दीपावली… आखिर क्यों …. जानने के लिए पढ़िए

सांप डसे तो यह करें

मरीज को दिलासा दिलाएं। आत्मविश्वास बनाए रखें। आसपास भीड़ न होने दें। तत्काल 108 को संपर्क करें। कटे अंग को दिल के स्तर से नीचे रखें एवं परचाली बांधे। अंग को ज्यादा न हिलाएं, तत्काल डॉक्टरी सलाह लें। मरीज को तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं।

यह सब करने से बचे

मरीज को न डराएं, कटे हुए स्थान पर चीरा न लगाएं और न ही बांधे। देशी नुस्खे या अन्य केमिकल न लगाएं, झाड़-फूंक तांत्रिक आदि के चक्कर में न पड़े। संर्पदश में एक-एक मिनट का अत्यंत महत्व है। सांस लेने में तकलीफ होने की स्थिति में कृत्रिम श्वास देने का प्रयास करें। तत्काल एंटी स्नेक वेनम के लिए अस्पताल ले जाएं।

यह एंटी स्नेक वेनम

यह एक तरह का इग्न्युनॉग्लोब्यूलीन जी की इग्न्युनोथैरेपी है, जो सांप के विष को न्युट्रीलाइस करता है। संर्पदश व इग्न्युनोथैरेपी के बीच का समय जितना कम होगा। बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा हो जाती है। इसलिए तत्काल चिकित्सालय ले जाना सर्वोपरि है।

इस वजह से होती है मौत

विष के असर से तंत्रिका व परिसंचरण तंत्र प्रभावित होता है। सांस लेने वाली मांसपेशियों के लकवाग्रस्त होने एवं दिल के बंद होने से मरीज की मौत हो जाती है। इसलिए तत्काल उपचार से मरीज को बचाया जा सकता है।

जूते, चप्पल को अच्छी तरह देख लें

घर में जूते, चप्पलों, घर के कोनो आदि को उपयोग करने के पहले अच्छी तरह से देख लें। रोज उपयोग होने वाले जूते-चप्पलों व अन्य सामानों तो जमीन में न रखें। हो सके तो 2 से 3 फीट ऊपर रखें। खुले पैर न रहे। हो सके तो हाई काउंटर या गम बूट पहने।

जिले में उपलब्ध है उपचार

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमके सूर्यवंशी ने बताया कि जिला चिकित्सालय व समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में संर्पदश के उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में एंट स्नेक वेनम उपलब्ध है। मरीजों को चाहिए कि झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर समय और जान न गवाएं।

Hindi News / Prime / Exclusive / सर्प दंश : अब तक 16 लोग हो चुके शिकार, अलर्ट जारी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.