नगरीय क्षेत्र में 10 साल में 250 से ज्यादा नई कॉलोनियां बस गईं हैं। वर्तमान समय में 30-40 निर्माणाधीन हैं। कॉलोनियों में 800 से 1000 स्क्वायर फीट के प्लाटों की बुकिंग ज्यादा हो रही है। नगर निगम क्षेत्र में चालू वर्ष में छोटे प्लाटों की रजिस्ट्रियां अधिक हो रही हैं। वर्तमान समय में नगरीय क्षेत्र में 30 से 40 कॉलोनियां निर्माणाधीन हैं। कॉलोनियों में लोगों की पसंद 800 से 1000 स्क्वायर फीट के प्लाटों की अधिक है। इससे छोटे यानी 500 से 600 स्क्वायर फीट के भी खरीदारी हो रही है। प्लाट कारोबारी हरसिंह नारंग बताते हैं कि प्रीमियम साइज के प्लाटों की तुलना में आठ से एक हजार वर्ग फीट के प्लाटों को लोग पसंद कर रहे हैं।
10 साल के भीतर 250 से ज्यादा कॉलोनियां शहरी क्षेत्र में रियल स्टेट में प्लाटों की खरीदारी का ट्रेंड बदला है। शीर्ष शहरों की तुलना में अब छोटे शहरों में छोटे प्लाटों की खरीदारी बढ़ी है। और प्रीमियम भवनों की खरीदारों की संख्या तेजी से घट रही है। खंडवा में छोटे-छोटे साइज के प्लाटों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। चालू वित्तीय वर्ष में बीते छह माह के भीतर 120 से अधिक छोटे प्लाटों की बिक्री हुई है। निगम क्षेत्र में 10 साल के भीतर 250 से अधिक कॉलोनियां बनी। तब से लेकर अब तक 2500 से 3000 छोटे प्लाटों की बिक्री हुई। इसमें अर्बन एरिया के भी छोटे-छोटे प्लाट शामिल हैं। कॉलोनियों में प्रीमियम प्लाटों की बिक्री कम हुई है।
कॉलोनियों में छोटे प्लाटों की रजिस्ट्रयां अधिक नगर निगम क्षेत्र में चालू वर्ष में छोटे प्लाटों की रजिस्ट्रियां अधिक हो रही हैं। वर्तमान समय में नगरीय क्षेत्र में 30 से 40 कॉलोनियां निर्माणाधीन हैं। कॉलोनियों में लोगों की पसंद 800 से 1000 स्क्वायर फीट के प्लाटों की अधिक है। इससे छोटे यानी 500 से 600 स्क्वायर फीट के भी खरीदारी हो रही है। प्लाट कारोबारी हरसिंह नारंग बताते हैं कि प्रीमियम साइज के प्लाटों की तुलना में आठ से एक हजार वर्ग फीट के प्लाटों को लोग पसंद कर रहे हैं।
छोटे प्लांटों में कम पैसे में अच्छे भवन बन रहे माता चौक क्षेत्र की रहने वाले कुसुम सिंह कहती हैं कि पहले की तुलना में अब शहर में उपयोगिता के अनुसार ही भवन निर्माण करा रहे हैं। छोटे प्लाटों पर कम पैसे में अच्छे और सुविधायुक्त भवन बन जाते हैं। आनंद नगर क्षेत्र की सुषमा कहती हैं कि छोटे प्लाटों में घर बनाने की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि ज्यादातर फैमिली में नौकरी करने वाले लोग बाहर रहते है। ऐसे में घर मेंटेनेंस करना भी मुश्किल होता है। भवन का एरिया बड़ा होने पर टैक्स भी बढ़ जाता है। छोटे प्लाट में नक्शा के अनुसार अच्छे भवन कम लागत में तैयार हो जाते हैं। सामान्य आर्य वर्ग के परिवारों के पास फैमिली छोटी होती है। छोटे घरों की तुलना में बड़े भवनों में फिजूल खर्च अधिक होता है।
पीएम आवास : 350-500 स्क्वायर फीट के प्लाटों की बढ़ी बिक्री शहरी पीएम आवास योजना में भूमिहीन और आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लोगों को भी योजना का लाभ मिल रहा है। इस लिए नगरीय क्षेत्र में 350 से 500 स्क्वायर फीट के प्लाटों की बिक्री बढ़ गई है। पीएम आवास के अब तक 1500 से ज्यादा नए आवेदन आए हैं। इसमें 350 वर्ग फीट तक प्लाटों के आवेदन आए हैं। जो निर्माणाधीन कॉलोनियों में छोटे-छोटे प्लाट खरीद लिए हैं। कुछ तो आवेदन की प्रक्रिया के दौरान प्लाट की बुकिंग तक कर लिए हैं।
अवैध कॉलोनियों की बजाए वैध की ओर बढ़ा रुझान शहर में अवैध कॉलोनियों में लोग कम दर पर भी प्लाट खरीदना पसंद नहीं कर रहे। बीते तीन सालों में अवैध कॉलोनियों में प्लाट लेने वाले ज्यादातर कॉलोनियां लंबे समय से तक विवादित रहीं। सुविधाओं भी टोटा रहा। दो साल से वैध कॉलोनियों में प्लाट खरीदारी ज्यादा हुई है। कॉलोनाइजर एसोसिएशन के संरक्षक राजेश यादव बताते हैं कि वर्तमान समय में लोग वैध कॉलोनियों में छोटे प्लाट खरीद रहे हैं।
चहुंओर बढ़ रहा शहर, नागचून की छोर में सीमा खत्म शहर तेजी के साथ चहुंओर बढ़ रहा है। मूंदी रोड पर सिहाड़ा पहुंच गया है। भवन भी तेजी से बन रहे हैं। इंदौर रोड के साथ हरसूद हाइवे पर नहाल्दा के आगे तक कॉलोनियां कट रही हैं। नागचून रोड पर सीमा खत्म हो गई। छिपा कॉलोनी क्षेत्र में अंदर के छोर में अलग-अलग जगहों पर कॉलोनियां विकसित होने के साथ ही बसावट बढ़ रही है। जसवाड़ी रोड पर रामनगर तक कॉलोनियों के बाद आस-पास की बसाहट बढ़ने लगी है। भंडारी रोड पर अधिक कॉलोनियां कट गई हैं।
इनका कहना कार्य पालन यंत्री, कॉलोनी शाखा : राधेश्याम उपाध्याय का कहना है कि शहर के चारों तरफ कॉलोनियां विकसित की जा रही हैं। बड़े की तुलना में छोटे-छोटे प्लाटों की बिक्री अधिक है। शहर विस्तार को लेकर भी कागजी प्रक्रिया शुरू हो गई है। मीटिंग के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने रिपोर्ट मांगी है। सामान्य रूप से सर्वे रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
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