इसके बाद आल इंडिया एसोसिएशन भी मैदान में उतर आया। उसने भी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले से उनको अवगत कराया और अपने ऊपर लगाए जा रहे अवैध के आरोप को खारिज किया। उनका कहना है कि वे परमिट के शर्तों के अधीन बसों का संचालन कर रहे हैं। जिला एसोसिएशन व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा को विपरित स्वरूप प्रदान करते हुए निराधार तथ्यों को ज्ञापन के माध्यम से प्रस्तुत किया है। महासंघ ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही अपनी ओर से दस्तावेज भी प्रस्तुत किए हैं। महासंघ के मैदान में आने के बाद स्थितियां बदल गई है। जिला एसोसिएशन पहले जहां उग्र था, वहीं अब उसके स्वर बदल गए हैं। उधर महासंघ का कहना है कि लांजी विधायक राजकुमार कर्राहे भी अपने क्षेत्र के लोगों को सुविधा मिलने से वे इसके पक्ष में है।
यह बताया जा रहा विवाद का कारण
जानकारों की माने तो हैदराबाद वाली बस लांजी से सवारी उठाती है। इससे यात्रियों को सहुलियत मिलती है। लोकल बस आपरेटर चाहते हैं कि वे लांजी से सालेटेकरी तक यात्रियों को छोड़े और वहां तक का किराया वसूले। इसके बाद हैदराबाद के लिए दूसरे बस संचालक उनको बैठाए। ऐसा किया जाना यात्रियों पर आर्थिक, मानसिक व शारीरिक बोझ बढ़ाना है। इसी को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हुई है।
हमलोगों ने ज्ञापन सौंपा था। इस मामले में हमारी प्रशासन से बात हुई थी। दूसरा पक्ष भी ज्ञापन सौंपा है। लोकल रूट परमिट बसों का संचालन बंद नहीं किया जा रहा है।
- श्याम कौशल, सचिव जिला बस आपरेटर एसोसिएशन बालाघाट
हम लोग नियमानुसार बस चला रहे हैं। हमारे ऊपर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद है। लोकल वाले वाले भी हैदराबाद तक बस चला चुके हैं। लेकिन वे सफल नहीं रहे। इसलिए विरोध कर रहे हैं।