याचिकाकर्ता की ओर से नितिन गोकलानी ने कहा कि नियमानुसार सरकार पब्लिक इमरजेंसी के दौरान अथवा जन सुरक्षा कारणों से ही इंटरनेट बंद कर सकती है। इसके अलावा इंटरनेट बंद करना नागरिकों के अधिकारों की कटौती है। इस पर जारी नोटिस के जवाब में पहले तो सरकार की ओर से कहा गया कि परीक्षा में चीटिंग रोकने के कारण एेसा किया गया। बाद में गृह विभाग के शासन सचिव की ओर से जारी परिपत्र का हवाला देते हुए कहा परीक्षा भर्ती के दौरान इंटरनेट सेवा स्थगित नहीं की जा सकती। इस परिपत्र के हवाले से एएजी राजेश पंवार ने खंडपीठ में शपथपत्र पेश किया जिसे रिकॉर्ड में लेने के बाद याचिका का निस्तारण कर दिया गया।