प्रार्थीपक्ष के वकील आरएन माथुर ने कोर्ट को बताया, याचिकाकर्ता ओबीसी श्रेणी से हैं और उनके प्री-परीक्षा में सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों से अधिक अंक हैं। ओबीसी की अलग श्रेणी बना प्री का परिणाम जारी हुआ है। मुख्य परीक्षा के लिए हर श्रेणी के पदों के १५ गुणा अभ्यर्थियों को पात्र माना गया है। इससे सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों से अधिक अंक होने के बावजूद याचिकाकर्ता मुख्य परीक्षा के लिए पात्र नहीं माने गए हैं।
याचिका में प्रार्थीपक्ष ने मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दिलाने का आग्रह किया। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद व राजस्थान लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता एम एफ बेग ने कहा कि हर श्रेणी में पदों का १५ गुणा अभ्यर्थी बुलाने का प्रावधान है, उसकी सख्ती से पालना की गई है।