इस साल नीट का कट ऑफ स्तर बढऩे से देश के सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश का कट ऑफ भी बढऩा तय है। उल्लेखनीय है कि इस साल नीट परीक्षा में 720 में से मात्र 16.66 फीसदी यानी 107 अंक लाने वाले परीक्षार्थियों को भी परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया है। इस प्रकार एनटीए ने 7,97,042 विद्यार्थियों को नीट क्वालिफाई करार दिया है।
इस साल नीट क्वालिफाई करने वाले महज 8.89 फीसदी विद्यार्थियों का ही डॉक्टरी की पढ़ाई का सपना पूरा होगा। जबकि करीब 91.11 फीसदी विद्यार्थियों को नीट परीक्षा पास होते हुए भी अन्य विकल्प तलाशने होंगे। यदि भारत के छात्र दुनिया के हर मेडिकल कॉलेज में भी दाखिला लें तो भी सभी छात्रों का डॉक्टरी का सपना पूरा नहीं हो सकता है। इस साल देशभर में 70 हजार 878 एमबीबीएस की सीटें है। जबकि इस साल नीट के जरिए 7,97,042 विद्यार्थी सफल हुए है।
14 हजार रैंक तक सरकारी कॉलेज की उम्मीद
इस साल देश के 7,97,042 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा क्वालीफाई की है। पिछले साल 11 हजार तक रैंक हासिल करने वालों को सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल गया था। इस साल 13-14 हजार की रैंक वाले विद्यार्थियों को सरकारी कॉलेज मिलने की उम्मीद है। इसके बाद वाले विद्यार्थी निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले सकते है। वहीं वेटनरी, फिजियोथैरपी व फॉर्मेसी में भी आजकल नीट के अंकों के आधार पर दाखिला होता है। जिन विद्यार्थियों को देश से ही एमबीबीएस करनी है उनको रैंक सुधार के लिए दुबारा तैयारी करनी होगी।
– डॉ. पीयूष सुण्डा, सीकर