IIT इंट्रेंस से ऐसे स्टूडेंट्स सेलेक्ट किए जाते हैं तो बड़ी प्रॉब्लम्स के छोटे सॉल्यूशन दे सकें। एग्जाम में नॉलेज से अधिक स्टूडेंट्स का आइक्यू देखा जाता है। आइक्यू बढ़ाने के लिए स्टूडेंट्स को पजल्स और आइक्यू गेम्स सुडूको भी खेलने चाहिए। वाइब्रेंट कोचिंग के डायरेक्टर नरेंद्र अवस्थी के अनुसार 10-12 लाख बच्चों में से 10 हजार बच्चों के चयन के लिए हार्ड प्रॉसेस जरूरी है। IIT एग्जाम में स्टूडेंट्स का रियल असेस्मेंट किया जाता है। इसलिए पेपर टफ होता है लेकिन इंपॉसिबल जैसा नहीं है। यदि स्टूडेंट्स 11वीं के बाद से इसकी तैयारी शुरू करते हैं तो क्रैक करना आसान होगा। इसमें 11-12वीं की थ्योरी अच्छे से कवर करें। किसी पॉइट्स पर कोई प्रॉब्लम है ऑनलाइन वीडियो देख सकते हैं। ऑनलाइन मॉक टेस्ट पेपर सीरीज ज्वॉइन कर सकते हैं।
मेंटली और ट्रिकी हो क्वेश्चन
IIT एग्जाम उतना टफ नहीं है जितना कि हमारी कमजोर शिक्षा व्यवस्था के कारण हो गया है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर इतना कमजोर है कि IIT जैसे एग्जाम क्रेक करना और टफ हो जाता है। सरकार को चाहिए सरकारी स्कूलों में एजुकेशन सिस्टम को सुधार ताकि IIT में गरीब घरों के बच्चे भी सेलेक्ट हो सके। हां, इसको टफ की जगह मेंटली और ट्रिकी बनाना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स स्ट्रेस में न रहें।
– आनंद कुमार, फाउंडर, सुपर 30