रोल नंबर की जगह जनरेट होगा यूनीक कोड
एग्जाम के बाद आंसर शीट से रोल नंबर हटाकर एक यूनीक कोड लिखा जाएगा। इसके बाद कॉपी को स्कैन कर चैक होने के लिए संबंधित टीचर्स को फॉरवर्ड किया जाएगा। ये कॉपी इंस्टीट्यूट के सिक्योर्ड पोर्टल पर ही ओपन हो सकेंगी और इसके लिए टीचर को एक हाई सिक्योर्ड यूजर आइडी और पासवर्ड भी दिया जाएगा। बिना आइडी पासवर्ड के कॉपी एक्सेस ही नहीं कर पाएंगे।
ऐसे काम करेगा सॉफ्टवेयर
ऑनलाइन पोर्टल पर आंसर शीट ओपन करने के साथ ही हर तीन से पांच मिनट में कम्प्यूटर पर लगा वेब कैमरा कॉपी चैक करने वाले टीचर की फोटो क्लिक करता रहेगा। फोटो पोर्टल पर अपडेट होती रहेगी। इससे कोई और व्यक्ति कॉपी चैक नहीं कर सकेगा। साथ ही सॉफ्टवेयर से हर क्वेश्चन को चैक करने में लगे टाइम और पूरी कॉपी को चैक होने में लगे वक्त का भी पूरा डेटाबेस तैयार होगा। आसंर शीट चैक होने के बाद यूनीक कोड की जगह फिर से रोल नंबर लगाकर रिजल्ट जारी किया जाएगा। कॉपी चैक करने के लिए इंटरेस्टेड टीचर्स को आइसीएआइ के रीजनल चैप्टर में अप्लाई करना होगा। सीए इंस्टीट्यूट की ओर से टीचर्स को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा और उन्हें कॉपी चैक करने संबंधी पूरे प्रोसेस की तीन दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
आइसीएआइ के इस इनिशिएटिव से स्टूडेंट्स को फायदा होगा। आंसर शीट चैक होने में और अधिक ट्रांसपेरेंसी से रिजल्ट भी इम्प्रूव होगा।
– सीए लोकेश कासट, चेयरमैन, आइसीएआइ जयपुर चैप्टर
आंसर शीट चैक होने का प्रोसेस हाई सिक्योर और ऑनलाइन होने से कॉपी अब एक्सपर्ट ही चैक कर सकेंगे। फेयर मार्किंग स्कीम की डिमांड कर रहे स्टूडेंट्स की ये पहली जीत है।
– विनय प्रताप सिंह, सीए स्टूडेंट