स्टूडेंट्स को डिस्कस करने दें
किसी विषय पर पढ़ा लेने के बाद, आपके स्टूडेंट कितना समझे और कौन सी चीजें समझ में नहीं आईं, इसका पता लगाने के लिए ट्यूशन के अंतिम 15 मिनट स्टूडेंट्स के ग्रुप डिस्कशन के लिए रखें। उनमें से किसी एक को आज की पढ़ाई से जुड़े सवाल दूसरों से पूछने को कहें। इससे आप समझ जाएंगी कि आपके स्टूडेंट्स ने कितना ग्रहण किया और स्टूडेंट्स को यह तरीका रोचक भी लगेगा। आप डिस्कशन से बचने वाले स्टूडेंट्स को भी पहचान जाएंगी और उन पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगी।
फ्रेंडली बनें
किसी भी उम्र के विद्यार्थी हों, उन्हें सपाट चेहरे वाले कठोर स्वभाव के टीचर्स से पढऩा अच्छा नहीं लगता। अपने स्टूडेंट्स के साथ आपका व्यवहार दोस्ताना होना चाहिए, ताकि वे खुलकर अपनी समस्याओं को आपके साथ डिस्कस कर सकें। इतना ध्यान रखें कि वो आपको फ्रेंडली टीचर ही समझें, न कि अपना फ्रेंड।
लिखने को कहें
हफ्ते में दो-तीन दिन ऐसे रखें, जब आप बीते एक-दो दिन की पढ़ाई से जुड़े कुछ सवाल अचानक स्टूडेंट्स से पूछ लें और उन्हें अपनी नोटबुक में लिखने को कहें। इसके बाद उनकी नोटबुक चेक भी करें। आपको अपने स्टूडेंट्स की प्रोग्रेस का भी पता चलेगा और स्टूडेंट्स हर वक्त सजग रहेंगे और ज्यादा पढ़ेंगे। उनका रिजल्ट भी अच्छा होगा।
थोड़ा सा फन भी हो
पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने के लिए जरा सी हंसी-मजाक भी जरूरी है ताकि स्टूडेंट्स का मूड फ्रेश होता रहे। लगातार कोर्स की बातें करते रहना जरूरी नहीं है। हर दिन एक छोटी सी प्रेरक कहानी, कुछ मजेदार संस्मरण हों तो स्टूडेंट्स जरा ताजगी महसूस करेंगे।
संवाद कायम रखें
आप दनादन पढ़ाती चली जा रही हैं और स्टूडेंट आपकी बात सुनते या नोट करते चले जा रहे हैं लेकिन बाद में आपके पास फीडबैक आता है कि टीचर क्या पढ़ाती है, कुछ समझ में ही नहीं आता। यह आपकी विफलता का बड़ा कारण हो सकता है। जो कुछ पढ़ाएं, बीच-बीच में उससे संबंधित सवाल जरूर पूछती रहें। तभी आपको पता चल सकेगा कि वे आपकी बात समझ रहे हैं या नहीं और तभी स्टूडेंट आपकी बात को गौर से सुनेंगे और समझेंगे।