उन्होंने बताया कि जिस तरह अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में लगातार देरी होती जा रही है, उसको लेकर विश्व हिंदू परिषद ये सम्मेलन करने जा रहा है। इसके तहत हज़ारों संतों को एक साथ जोड़ कर मंदिर निर्माण के आंदोलन को गति दी जायेगी। इस संत सम्मेलन की शुरुआत इटावा से की जा रही है। इसके बाद अन्य जनपदों में भी इस तरह के सम्मेलन कर संतों को एक सूत्र में जोड़ कर मंदिर निर्माण के लिये आगे कदम बढ़ाया जाएगा। इस पहले सम्मेलन में कम से कम 10 हज़ार संतों को इकठ्ठा करने का उद्देश्य बनाया गया है।
दिखेंगे दूरगामी परिणाम
विश्व हिंदु परिषद की इस हलचल से इटावा से लेकर अयोध्या तक राममंदिर निर्माण की दिशा में बड़ी पहल मानी जा रही है। राजनैतिक तौर पर इस संत समागम को समाजवादी गढ़ से भगवा मुहिम मजबूत करके एक बडा संदेश देने की कोशिश मानी जा रही है। क्योंकि इटावा को समाजवादियों का बड़ा मजबूत किला माना जाता है। विहिप का यह संत समागम अगर राममंदिर निर्माण की दिशा में सही ढंग से मूर्तिरूप धारण करता है तो निश्चित है कि इसके दूरगामी राजनैतिक नफा-नुकसान देखे जायेंगे।
विश्व हिंदु परिषद की इस हलचल से इटावा से लेकर अयोध्या तक राममंदिर निर्माण की दिशा में बड़ी पहल मानी जा रही है। राजनैतिक तौर पर इस संत समागम को समाजवादी गढ़ से भगवा मुहिम मजबूत करके एक बडा संदेश देने की कोशिश मानी जा रही है। क्योंकि इटावा को समाजवादियों का बड़ा मजबूत किला माना जाता है। विहिप का यह संत समागम अगर राममंदिर निर्माण की दिशा में सही ढंग से मूर्तिरूप धारण करता है तो निश्चित है कि इसके दूरगामी राजनैतिक नफा-नुकसान देखे जायेंगे।
इटावा में आरएसएस भी सक्रिय
विहिप की तरह से समाजवादी गढ़ में आरएसएस की ताकत लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसा माना जा रहा है कि 2019 के संसदीय चुनाव में आरएसएस के जरिये भाजपा समाजवादी गढ़ में कब्जा करने का मंसूबा बना कर यह सब कर रही है। समाजवादी गढ़ में आरएसएस के 90 साल के इतिहास में कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद पथ संचलन पर मुस्लिम वर्ग की महिलाओं की ओर से फूल बरसाने की खबरें देश भर में सुर्खियों में आ चुकी हैं। आरएसएस का वन विहार कार्यक्रम भी इसी कड़ी का बडा हिस्सा माना जाता है। लगभग पिछले 10 वर्षों में इस तरह संघ का इतने बड़े स्तर पर वन विहार का कार्यक्रम नहीं हुआ है। केंद्र व प्रदेश मे भाजपा के सत्तासीन होने के दौरान समाजवादी गढ़ में आयोजित किये गये वन विहारों को काफी तरजीह दी गई।
विहिप की तरह से समाजवादी गढ़ में आरएसएस की ताकत लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसा माना जा रहा है कि 2019 के संसदीय चुनाव में आरएसएस के जरिये भाजपा समाजवादी गढ़ में कब्जा करने का मंसूबा बना कर यह सब कर रही है। समाजवादी गढ़ में आरएसएस के 90 साल के इतिहास में कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद पथ संचलन पर मुस्लिम वर्ग की महिलाओं की ओर से फूल बरसाने की खबरें देश भर में सुर्खियों में आ चुकी हैं। आरएसएस का वन विहार कार्यक्रम भी इसी कड़ी का बडा हिस्सा माना जाता है। लगभग पिछले 10 वर्षों में इस तरह संघ का इतने बड़े स्तर पर वन विहार का कार्यक्रम नहीं हुआ है। केंद्र व प्रदेश मे भाजपा के सत्तासीन होने के दौरान समाजवादी गढ़ में आयोजित किये गये वन विहारों को काफी तरजीह दी गई।