कैदी की ट्रेन से कटकर मौत इटावा जेल से दौ कैदियो के फरार होने के बाद डीएम जे.बी.सिंह, एसएसपी संतोष मिश्रा, एसपी सिटी डा. रामयश सिंह, सीओ सिटी वैभव पांडे के अलावा जेल डीआईजी वी.पी. पाठक ने फरारी वाले स्थल को बारीकी से देखा। दरअसल जेल में डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद जब गश्त पर थे, तो दो कैदियों के मजार की ओर से गायब होने की जानकारी मिली। जिसके बाद जेल प्रशासन अर्लट मोड में आया, तो देखा कि दो कैदी जेल से फरार हो गए हैं। जिसके बाद जेल अमला दोनों कैदियों की तलाश में जुटने के लिहाज से इटावा रेलवे स्टेशन की ओर गया, तो मालूम हुआ कि संगम एक्सप्रेस में चढ़ने के दरम्यान एक कैदी रामानंद जाटव की मौत हो गई।
दीवार फांदकर फरार हुए थे दोनों कैदी इटावा जेल अधीक्षक राजकिशोर सिंह ने दोनों कैदियो के फरार होने की पुष्टि करते हुए बताया कि यह दोनों जिला जेल की बैरक-5 में कैद थे। डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद जब राउंड पर आए थे, तब इस घटना का पता चला। जब कैदियों की तलाश के लिए पुलिस रेलवे स्टेशन पर गई तो वहां कैदी रामानंद की ट्रेन के नीचे आने से मौत हो गई। ये दोनों कैदी जेल की दीवार को कूदकर फरार हुए। उन्होंने दीवार फांदने के लिए पेड़ की टहनियों और चादर का इस्तेमाल किया था। जेल अधीक्षक राजकिशोर सिंह ने इस मामले में जेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही स्वीकार की है। जेल के अंदर से इस तरह कैदियों के भागने की घटना प्रशासन की बड़ी चूक है।
सीसीटीवी कैमरे को किया था फेल डीआईजी जेल वी.पी. पाठक ने बताया कि दोनो कैदियों ने फरारी से पहले सीसीटीवी कैमरे विफल कर दिये थे, ताकि उनकी किसी भी गतिविधि को देखा न जा सके। जांच के बाद तीन वार्डन और एक हेड वार्डन को निंलबिंत कर दिया गया है। संगम एक्सप्रेस से कट कर मौत का शिकार हुआ रामानंद 45 पुत्र गोरेलाल निवासी दशहरा थाना फंफूद जिला औरैया का मूल निवासी था। जबकि दूसरा चंद्रप्रकाश उर्फ चंदुआ 49 पुत्र रामभरोसे निवासी महानेपुर इकदिल इटावा का रहने वाला है।
अखिलेश सरकार में हुई थी बड़ी कर्रवाई 22 अगस्त 2014 को इटावा जेल से तीन कैदियों के फरार होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी ने इटावा जेल के सभी अफसरों और जेल कर्मियो को निलंबित कर दिया था। 55 जेल अधिकारी, कर्मी इटावा जेल में निलंबित किये गये थे। जेल की मोटी दीवार पर पाइप और गर्म साल के जरिये बनाई गई रस्सी के जरिये राकेश तंदूरी उर्फ विक्रम, शकिर अली और संजू कोरी फरार हुए थे।
2012 में भी कैदी हुए थे फरार साल 2012 के दिसंबर माह में भी इस जेल से दो कैदी जयवीर सिंह और संजू जाटव फरार हो गये थे। दोनों के खिलाफ इटावा के कई थानों में कई अपराधिक मामले दर्ज रहे। बड़ी मुश्किल से करीब दो माह बाद दोनों को जेल अफसरों ने गिरफतार किया।
2008 में भी फरार हुआ था रामानंद साल 2008 मे भी इटावा जेल से दो कुख्यात कुख्यात दस्यु सरगना नादिया गिरोह का सक्रिय सदस्य सोनवीर जाटव उर्फ लोखरिया और कैदी रामानंद जाटव पश्चिमी बाउंड्री बॉल पर तकरीबन एक 25 फुट लंबे बांसो से कलाबाजी खाते हुए जेल की भीतरी व बाहरी चाहरदीवारी को लांघ कर भाग गए । इस फरारी के बाद जेल अधीक्षक आर.एन. शर्मा समेत दस पुलिस कर्मियो का निलंबन किया गया था। रामानंद ने बाद में नादिया गिरोह के साथ मिलकर 13 मार्च, 2008 को इकदिल थाना क्षेत्र के अमीनाबाद गांव में एक दलित परिवार के पांच लोगों की गोलियों से भून कर निर्मम हत्या कर दी थी। एक ही परिवार की पांच दलितों की मौत ने न सिर्फ राज्य सरकार को बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी भूचाल ला दिया था और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अमीनाबाद का दौरा किया और दलित परिवार के जिंदा बचे मासूमों को गोद लेने का ऐलान किया था।