उन्होंने कहा कि जब कृषि बिल सदन में पास कराया जा रहा था उसी समय सदन में मैंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष यह बात रखी थी कि यह बिल आप के जरिए नहीं तैयार किया गया है तो वह इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाए क्योंकि कोई भी किसान पुत्र कभी भी किसानों के खिलाफ ऐसा कोई कानून नहीं बना सकता जिससे उसका नुकसान हो। ये ऐसे कानून हैं जिसमें किसान अपनी जमीन का खुद मालिक होने के बावजूद मजदूर की माफिक बनकर रह जायेगा।
उन्होंने कहा कि यह बात अब पूरी तरीके से स्पष्ट हो चली है कि करीब 4 साल पहले से अडानी कंपनी के लोग बड़े-बड़े गोदाम सारे देश में तैयार करने में लगे हुए थे और कृषि कानून लागू होने के बाद यह बात पूरी तरह से साबित भी हो गई है। यह घटनाक्रम निश्चित तौर पर पूरी तरीके से प्रायोजित है कि पहले अपने करीबी लोगों को कृषि कानून से लाभ होने की शक्ल में गोदामों का निर्माण करवाया गया और उसके बाद किसान विरोधी कृषि कानूनों को लागू कराया गया। अब जब इन कानूनों को लेकर सरकार के खिलाफ कोई सवाल खड़ा कर रहा है तो सरकार इस बात का तर्क देती है कि यह कृषि कानून किसानों के खिलाफ नहीं है। यह बात बड़ी हैरत भरी नजर इसलिए आ रही है कि जो किसान विरोध पर उतरा हुआ है उसकी बात को सुनने के लिए न तो सरकार तैयार है और न ही सरकार का कोई प्रतिनिधि तैयार है।
By- दिनेश शाक्य