गाड़ी संख्या 2179 अप लखनऊ-आगरा इंटरसिटी एक्सप्रेस के डी-9 कोच में शहर के साबितगंज निवासी 65 वर्षीय मोे. याकूब यात्रा कर रहे थे। उन्हें लखनऊ से इटावा आना था। फफूंद निकलने के बाद वह टॉयलेट गए और वहीं पर बेहोश होकर गिर गए। यात्रियों ने जब देखा तो इसकी जानकारी टीटी स्टाफ को दी। ट्रेन रात 9.25 बजे जब इटावा स्टेशन पर रुकी तो पहले से मौजूद रेलवे के डॉ. अमरदीप सिंह ने जब यात्री को देखा तो उनकी सांसे थम चुकी थीं। उन्होंने याकूब को मृत घोषित कर दिया।
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मौके पर पहुंचे जीआरपी के एसआई प्रकाश चंद्र शर्मा ने शव को ट्रेन से उतरवाया। तलाशी के दौैरान एक मोबाइल नंबर लिखी पर्ची यात्री की जेब से मिली। इस नंबर पर जब फोन किया गया तो मृतक के पुत्र अफजल, फैजान व भाई अब्दुल कुद्दूस स्टेशन पहुंचे और उन्होंने अपने पिता की पहचान की। जीआरपी ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। तंदूर जैसी तपती है रेलगाड़ी
पिछले कई दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी लोगों के लिए परेशानियों का सबब बनी हुई है। हालांकि, गुरुवार को छाये बादलों की वजह से धूप नहीं निकली, बावजूद इटावा में पारे का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। भले ही धूप नहीं निकली, लेकिन उमस भरी गर्मी ने लोगों को दिन भर बेहाल किये रखा। अक्सर रेल यात्रा करने वाले जिले रामदीन श्रीवास्तव का कहना है कि कई बार सिग्नल न मिलने पर ट्रेन के कड़ी धूप में ऐसी जगह रोक दिया जाता है, जहां न पीने का पानी मिलता है और न ही सूरज से राहत। 45 पार पारे में रेलगाड़ी तंदूर जैसी तपती है।
पिछले कई दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी लोगों के लिए परेशानियों का सबब बनी हुई है। हालांकि, गुरुवार को छाये बादलों की वजह से धूप नहीं निकली, बावजूद इटावा में पारे का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। भले ही धूप नहीं निकली, लेकिन उमस भरी गर्मी ने लोगों को दिन भर बेहाल किये रखा। अक्सर रेल यात्रा करने वाले जिले रामदीन श्रीवास्तव का कहना है कि कई बार सिग्नल न मिलने पर ट्रेन के कड़ी धूप में ऐसी जगह रोक दिया जाता है, जहां न पीने का पानी मिलता है और न ही सूरज से राहत। 45 पार पारे में रेलगाड़ी तंदूर जैसी तपती है।