सूखाताल गांव के आसपास बड़ी तादात में लोधी बिरादरी के लोग रहते हैं। हर चुनाव में बीजेपी की ओर से कल्याण सिंह यहां रैली करने जरूर आते थे। भारतीय जनता पार्टी को इसका खासा फायदा भी मिला है इसमें कोई दो राय नहीं कि मुलायम सिंह यादव का प्रभावी गण होने के बावजूद लोधी बिरादरी के लोगों का झुकाव और लगाव हमेशा कल्याण सिंह की बदौलत भारतीय जनता पार्टी से बना रहा है।
हालांकि, वर्ष 1999 में जब कल्याण सिंह ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देकर के राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी का गठन किया था तो लोधी मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी की ओर रुख कर लिया था। हालांकि, उस वक्त साक्षी महाराज ने रोकने की बहुत कोशिश थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
15 बीघा खेत में होती थी जनसभा, आते थे 84 गांव के लोग
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे आज के समाजवादी शिव प्रताप राजपूत बताते हैं कि सूखाताल के जिस खेत में बाबूजी की सभा आयोजित होती रही है, 15 बीघा का खेत भी उनका ही है। करीब 15 हजारी भीड़ एकजुट करने की क्षमता वाले इस मैदान में लोधियो के 84 गावों के लोग कल्याण सिंह को सुनने के लिए दौड़े चले आते थे। चुनाव के बाद जब नतीजा सामने आता था तो फिर भाजपा को इसका फायदा जीत के तौर पर मिलता था।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे आज के समाजवादी शिव प्रताप राजपूत बताते हैं कि सूखाताल के जिस खेत में बाबूजी की सभा आयोजित होती रही है, 15 बीघा का खेत भी उनका ही है। करीब 15 हजारी भीड़ एकजुट करने की क्षमता वाले इस मैदान में लोधियो के 84 गावों के लोग कल्याण सिंह को सुनने के लिए दौड़े चले आते थे। चुनाव के बाद जब नतीजा सामने आता था तो फिर भाजपा को इसका फायदा जीत के तौर पर मिलता था।
यह भी पढ़ें
Kalyan Singh के निधन से बीजेपी ही नहीं विपक्ष के नेता भी दुखी, जानें- किसने क्या कहा
लोधी बाहुल्य इलाकों लोगों को नाम से पुकारते थे कल्याण सिंह
वह बताते हैं कि बाबू जी की ऐसी शख्सियत रही है कि वह इटावा के लोधी बाहुल्य इलाकों के एक-एक शख्स को नाम के साथ पुकारने की काबिलियत रखते थे। इसी का नतीजा यह था कि जब भी उनकी सभा सूखाताल गांव में हुआ करती थी तो वह मंच से नाम ले लेकर के लोगों का संबोधन किया करते थे और भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देने की न केवल अपील करते थे बल्कि अधिकार के साथ में भी वोट मांगा करते थे। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष जसवंत सिंह वर्मा अपने साथ कल्याण सिंह की यादों को ताज़ा करते हुए बताते है कि कल्याण सिंह उनके राजनैतिक गुरू रहे हैं। उनकी बदौलत वो राजनीति के इस पायदान तक पहुंचने मे कामयाब हुए हैं।
एक आवाज पर दौड़े चले आते थे लोग
कल्याण सिंह की कई सभाओं को कवर कर चुके इटावा के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि जब भी कल्याण सिंह इटावा और इटावा के आसपास के दौरे पर आया करते थे तो पत्रकारों से बड़ी ही साफगोई से बात करने में कोई हिचक नहीं खाते थे। उनका यही अंदाज़ हर किसी को इतना भाता था कि वो हमेशा हमेशा के लिए उनका मुरीद बन जाता था। पत्रकारों के साथ मजाक करने के साथ साथ चुटकी लेने से नहीं चूकते थे, लेकिन किसी भी पत्रकार ने उनकी इन बातो को कभी भी बुरा नहीं माना। त्रिपाठी बताते हैं कि कल्याण सिंह का ऐसा प्रभाव था कि अलीगढ़ से लेकर के हमीरपुर तक उनके समर्थक एक आवाज़ पर साथ आ खड़े हुआ करते थे। एक वक्त तो ऐसा था कि अटल, आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह के बिना भारतीय जनता पार्टी अधूरी मानी जाती थी।
कल्याण सिंह की कई सभाओं को कवर कर चुके इटावा के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि जब भी कल्याण सिंह इटावा और इटावा के आसपास के दौरे पर आया करते थे तो पत्रकारों से बड़ी ही साफगोई से बात करने में कोई हिचक नहीं खाते थे। उनका यही अंदाज़ हर किसी को इतना भाता था कि वो हमेशा हमेशा के लिए उनका मुरीद बन जाता था। पत्रकारों के साथ मजाक करने के साथ साथ चुटकी लेने से नहीं चूकते थे, लेकिन किसी भी पत्रकार ने उनकी इन बातो को कभी भी बुरा नहीं माना। त्रिपाठी बताते हैं कि कल्याण सिंह का ऐसा प्रभाव था कि अलीगढ़ से लेकर के हमीरपुर तक उनके समर्थक एक आवाज़ पर साथ आ खड़े हुआ करते थे। एक वक्त तो ऐसा था कि अटल, आडवाणी, जोशी और कल्याण सिंह के बिना भारतीय जनता पार्टी अधूरी मानी जाती थी।