इटावा. एक समय था जब चंबल में खूंखार डाकुओं का आतंक हुआ करता था। उस समय डाकुओं की हुकूमत के अलावा चंबल में किसी और का प्रभाव नजर नहीं आता था। हालांकि, धीरे-धीरे डाकुओं से राहत मिली मगर चंबल में बड़े स्तर पर गैर कानूनी गतिविधियों के तहत अवैध खनन से मोटी कमाई का सिलसिला जारी है।
यूपी में अवैध खनन के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस एवं प्रशासन के साथ के साथ रणनीति बनाकर काम किया। बावजूद इसके जिले में अवैध खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है। जिले पर बैठे आला अफसर अवैध खनन को लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासनिक अफसरों पर लगाम कसने के निर्देश देते हैं, लेकिन जितने निर्देश आला अफसरों की तरफ से आते हैं उससे कहीं अधिक खनन का कारोबार बदस्तूर है। तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के समय में पुलिस और दलालों के खिलाफ कार्रवाई ने खनन की गतिविधियों पर रोक लगाई थी, लेकिन उनके इटावा से हटने के बाद खनन की गतिविधियां व्यापक हो गईं। खनन का कारोबार आज के समय में जेब गर्म करने का धंधा बन चुका है।
भरथना क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की एमएलए सावित्री कठेरिया ने अपने क्षेत्र में खनन परिवहन की बढ़ती व्यापकता को लेकर निरीक्षण किया। उन्होंने पुलिस उपाधीक्षक बैजनाथ और चकरनगर के उपजिलाधिकारी इंद्रजीत सिंह और प्रशासनिक अफसरों से इस संबंध में पूछताछ की। सावित्री कठेरिया का मानना है कि उनके इलाके में अवैध खनन का कारोबार कर उनको बदनाम व उनकी छवि खराब करने का काम किया जा रहा।
खुद वसूल कर जेब गर्म करते हैं विधायक के समर्थक समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने विधायक सावित्री कठेरिया पर अवैध खनन के नाम पर वसूली करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सावित्री कठेरिया औऱ उनके समर्थक अवैध खनन के नाम पर खुद वसूली कर अपनी जेबें गर्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कई ट्रक चालकों ने भी इस बात को माना है। खनन कारोबार को रोकने के लिए विधायक की सक्रियता केवल एक दिखावा है। उनकी शिकायत पर इटावा के एसएसपी संतोष मिश्रा ने सीओ चंद्रपाल सिंह की जगह उनकी जगह सीओ एस एन पाण्डे को वहां पोस्ट कर दिया। कार्यभार ग्रहण करते ही एस एन पाण्डे ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई भी वाहन बिना पड़तान के नहीं आगे जाएंगे।
उपजिलाधिकारी इंद्रजीत सिंह ने कहा कि जिले में 11 पुलिस कर्मियों की चेक पोस्ट बनाई गई है। उनकी जिम्मेदारी होगी कि खनन से जुड़े हर वाहन की पड़ताल हो। अगर बिना पड़ताल के कोई वाहन आगे बढ़ता है, तो संबंधित पुलिस के खिलाफ कार्यवाही होगी।