दूरबीन विधि से ऑपरेशन आप्रेशन करने वाले सर्जरी विभाग के प्रोफेसर विपिन गुप्ता ने बताया कि पेशंट सीमा का जटिल कोलेडोकल सिस्ट यानि बाईल नलिका के सिस्ट का दूरबीन (लैपरोस्कोपिक) विधि से आपरेशन किया गया। इस तरह के आपरेशन की सुविधा अभी देश-प्रदेश के कुछ गिने चुने चिकित्सा संस्थानों में ही उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि आपरेशन के बाद मरीज अब पूरी तरह ठीक है।
जटिल बीमारी है कोलेडोकल सिस्ट डॉ. विपिन ने बताया कि कोलेडोकल सिस्ट एक जटिल तथा गम्भीर बीमारी है। इसके लक्षणों में पेट में गम्भीर दर्द, मतली, बुखार पीलिया तथा पित्त नलिकाओं में बाधा हो सकती है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी कोलेडोकल सिस्ट का कोई शारीरिक लक्षण मरीज में नहीं दिखता। सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि कोलेडोकल सिस्ट किसी भी उम्र में तथा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। कोलेडोकल सिस्ट की पहचान पेट के अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन से किया जाता है। अगर पित्ताशय की थैली और सामान्य पित्त नली के बीच अवरोध होता है, तो एक व्यक्ति को कोलेडोकल सिस्ट का खतरा होता है। पित्ताशय की थैली में सूजन होना गंभीर संक्रमण या पित्ताशय की थैली के टूटने का कारण बन सकती है। कोलेडोकल सिस्ट की इन दोनों जटिलताओं में पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता होती है।