उन्होंने अखबारों में प्रकाशित खबरों को लेकर कहा कि मामला प्रकाश में आने पर अफसरों द्वारा घोटाले का रुपया जमा करा घोटाले को दबा दिया गया और मामले को रफादफा कर दिया गया। मगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि नवंबर 2019 में सफारी शुरू हुआ, तब से लेकर अब तक की टिकट आय की उच्च स्तरीय जांच करायी जाए। साथ ही पूर्व के निदेशकों को भी जांच के दायरे में लाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि कारपस फंड में इटावा सफारी पार्क को 80 करोड़ रुपये मिले थे, जो अब तक ब्याज मिलाकर 85 करोड़ रुपये हो जाने चाहिए, लेकिन इसमें से एक करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया। जबकि नियमानुसार कारपस फंड के ब्याज से 85 फीसद धनराशि ही खर्च करने का प्रावधान है, फिर पुन: 15 फीसद मूलधन में जमा करने का प्रावधान है। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।