संस्थान के तत्कालीन कुल सचिव सुरेश चंद्र शर्मा ने चिकित्साधीक्षक प्रोफेसर आदेश कुमार पत्र भेजकर भ्रष्टाचार की जानकारी दी। पत्र के आधार पर प्रोफेसर आदेश कुमार ने सैफई पुलिस को पत्र भेज कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। 24 दिसंबर 2022 को दर्ज किए गए मुकदमे की जांच को सीओ ने की। जिसमें बड़े खुलासे हुए हैं।
डॉक्टर समीर सरार्फ लंबे समय से अनियमितता कर रहा है। पांच सदस्य जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पेशेंट सुदामा लाल को 21 मई 2018 में पेसमेकर लगाया गया था। 96 हजार हजार 844 रुपए का पेसमेकर एक लाख 85 हजार रुपए का लगाया गया था। इसी प्रकार गुड्डी देवी, जबर सिंह, धर्मपाल, कालीचरण को भी डुप्लीकेट पेसमेकर लगाकर कीमत से 3 गुणा अधिक कीमत वसूली गई।
मार्च 2020 में एस ए हेल्थ टेक कंपनी लखनऊ ने तत्कालीन कुलपति को लिखित शिकायत की थी। अपने शिकायती पत्र में उन्होंने बताया कि एमआरआई पेसमेकर घोटाला संस्थान में हो रहा है। इस संबंध में उन्होंने डॉक्टर समीर सरार्फ को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया कि मरीजों की जिंदगी के साथ ना खेल।
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शिकायतकर्ता को दिया पहले प्रलोभन फिर धमकी
लेकिन डॉक्टर समीर सरार्फ ने पहले तो ब्लैकमेल किया। फिर धमकी देने लगा। मुझे भी एमआरआई पेसमेकर की जगह नान एमआरआई पेसमेकर की आपूर्ति को कहा गया। लेकिन उन्होंने आपूर्ति बंद कर दी। प्रमाण के रूप में उन्होंने ऑडियो और सीडी भी दिया है। डॉ समीर सरार्फ के खिलाफ तीन बार जांच हुई। जिसमें वह दोषी पाए गए। जिन्हें निलंबित कर दिया गया। सीओ सैफई नागेंद्र चौबे की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर सरार्फ को गिरफ्तार किया है।