उन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र डा.विजय कुमार ने इटावा के पिलखर हत्याकांड के रूप में बहुचर्चित इस कांड के मुख्य हत्यारोपी रामप्रताप उर्फ टिल्लू को फांसी की सजा सुनाई है। उन्होंने बताया कि साल 2012 को 28 मई को हुए 6 लोगों की हत्या के मामले की लंबी पक्ष और विपक्ष की बहस के बाद यह सजा सुनाई गई है। वहीं रामप्रताप के साले दिलीप यादव के मामले को लेकर अदालत ने अभी कोई निर्णय नहीं सुनाया है।
ये भी पढ़ें- ग्रीन से रेड जोन में आया यह जिला! एक साथ आए करीब 100 नए मामले, स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता शिवपाल यादव ने करवाई थी जांच- आठ साल पहले शहर किनारे पिलखर में मां-पिता के साथ चार मासूम बच्चों की हत्या ने सभी के दिल दहला दिए थे। परिवार के सामूहिक हत्याकांड ने जिले ही नहीं प्रदेश में लोगों के दिल दहला दिए थे। प्रदेश में तत्कालीन सपा सरकार के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने गांव आकर मामले की तेजी से जांच कराने तथा आरोपितों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे।
सुरेश के साले भरथना बंधारा निवासी होम सिंह ने सुरेश के भाई रामप्रताप उर्फ टिल्लू पुत्र रामसनेही, वरुणराज पुत्र राजवीर व एक दिलीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। भूमि विवाद की रंजिश में परिवार की सामूहिक हत्या का आरोप लगाया था। शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलों की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश ने 21 मार्च को निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
ये भी पढ़ें- श्रमिकों के लिए बसों पर राजनीतिक घमासान जारी, प्रियंका गांधी ने बसों को वापस भेजने पर दिया बड़ा बयान लॉकडाउन के कारण सुनवाई रुकी रही- लाॅकडाउन के चलते न्यायालय 7 मई तक बंद रहने से सुनवाई रुकी रही। इसके बाद वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से न्यायालय में कार्य शुरू हुआ तो दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात अदालत ने वरुणराज को दोषमुक्त कर दिया है। अभियोजन पक्ष ने साक्ष्यों को प्रस्तुत करके कड़ी सजा की अपील की। अदालत ने मुख्य अभियुक्त रामप्रताप टिल्लू को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है और पांच लाख रुपये अर्थ दंड देने का आदेश दिया है। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि दिलीप का आरोपपत्र बाद में दाखिल होने से मामला विचाराधीन है।
2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे। उनके जिले इटावा में इस तरह से एक सामूहिक नरसंहार ने कानून व्यवस्था पर सवाल खडा कर दिया था।
2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे। उनके जिले इटावा में इस तरह से एक सामूहिक नरसंहार ने कानून व्यवस्था पर सवाल खडा कर दिया था।
एक दिल थाना क्षेत्र के अन्तर्गत पिलखर गांव 50 वर्षीय सुरेश यादव, 45 वर्षीय पत्नी विमला देवी, 22 वर्षीय पुत्र अवनीश, तीन पुत्रियों में 18 वर्षीय रश्मि, 15 वर्षीय श्वेता और 12 वर्षीय सुरभि की निर्ममतापूर्वक धारदार हथियारो से काट कर हत्या कर दी गई थी । इस मामले में सुरेश के छोटे भाई रामप्रताप, उसके साले दिलीय यादव के अलावा वरूण राज को नामजद किया गया था। पुलिस ने इस मामले में सभी को गिरफतार करके जेल भेज दिया था। इस सामूहिक हत्या के पीछे कानपुर हाइवे पर सुरेश यादव की कईयों करोड़ की 18 बीधा जमीन को हथियाने का इरादा छोटे भाई रामप्रताप का था। रामप्रताप ने अपने साले दिलीप के अलावा साथी वरूण राज से मिलकर इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया था।
सुरेश यादव को छोटा भाई रामप्रसाद उर्फ पिंटू वारदात के बाद से फरार तो था ही, उसका मोबाइल फोन भी बंद था। इसलिए शक उसी पर जताया जाने लगा था। सोमवार की सुबह करीब सात बजे इस सामूहिक हत्याकांड का पता तब चला जब गांव का एक बालक नीरज बकरियां चराने जा रहा था और जब सुरेश यादव के घर के सामने से गुजरते समय उसने खून बिखरा देख गांव वालों को बताया, इस पर जब कुछ लोग पहुंचे तो यह देखकर दंग रह गये कि परिवार के सभी छह सदस्यों की गर्दनें उनकी ही चारपाईयों पर कटी हुईं थीं। इटावा के इतिहास के अभी तक एक साथ साल 2006 मे छोटा राजन गैंग के 6 सदस्यो को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।