ये भी पढ़ें- कैबिनेट में जगह न मिलने के बाद मेनका गांधी के लिए आई यह खबर, मिल सकता है यह बड़ा पद यहां का है मामला- सराय शेख निवासी विनय जैन छह वर्षों से बीमार थे, उनका आगरा में इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई। उनकी दो बेटियां हैं, कोई पुत्र नहीं है। ऐसे में बेटियों ने साहस दिखाते हुए पिता की अर्थी को कंधा दिया और यमुना घाट पर वैदिक रीति-रिवाज के साथ पिता का अंतिम संस्कार भी किया। बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा श्रेयांशी व बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा प्रियांशी जैन अपने पिता की मौत के बाद विचलित नहीं हुईं। बल्कि अपनी मां को ढांढस देकर हिम्मत बंधाई।
ये भी पढ़ें- अखिलेश, मुलायम, शिवपाल आए एक ही मार्ग पर मुखाग्नि देते समय नहीं लगा कोई डर- बेटी श्रेयांशी व प्रियांशी का कहना है कि उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी चिता को मुखाग्नि हम ही दें। हमने अपना फर्ज निभाया है। पिता की इच्छा यह भी थी कि हम आगे चलकर उनका नाम रोशन करें। अब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं और आगे चलकर पिता का नाम भी रोशन करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि मुखाग्नि देते समय दोनों बहनों के मन में किसी तरह का डर नहीं था।
ये भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने शराबकांड को लेकर योगी सरकार पर किया बड़ा हमला बेटियों ने दिया बड़ा संदेश- इटावा के के.के. कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि दोनों बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार कर अहम भूमिका का निर्वाहन करते हुए एक बड़ा संदेश दिया है। इससे एक बात साबित होती है कि पहले कभी रूढिवादिता के चलते महिलाओं को इस पंरपरा से दूर रखा जाता था, लेकिन आज जागरूकता ने इसको दूर करके अपने आप को साबित करने का मौका दिया है।