शादी से ऐन वक्त पहले बारातियों और घरातियों को चकमा देकर दुल्हन हुई फरार, जानिए पूरा मामला!
ये है मान्यता
पुरानी मान्यता है कि रावण की अस्थियों को ले जाने से घर में क्लेश नहीं होता है। घर में शांति रहती है। इसी के चलते रावण दहन को देखने आए दर्शकों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर रावण की अस्थियों की प्रतीक जली हुई लकड़ी को लेने के लिए दौड़ लगा दी। उस समय पुतला जल रहा था। यह देख पुलिस ने दर्शकों को बल प्रयोग कर खदेड़ा।
आपको बता दें कि ये एटा में रावण को दशानन नहीं, नौनानन कहा जाता है, क्योंकि इसके नौ सिर होते हैं। रावण की नाभि में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपने तरकश से तीर मारकर उसका दहन किया। नौ सिर के इस रावण के दहन की चर्चा समूचे जनपद में है।
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100 वर्ष से ज्यादा पुरानी रामलीला
रामलीला कमेटी के महामंत्री उमाशंकर गिरि ने बताया कि एटा शहर की रामलीला 100 वर्ष से ज्यादा पुरानी है किताबों में भी एटा की रामलीला का जिक्र है। एक तरफ रावण दहन कर धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है तो सामाजिक संदेश भी दिए जाते हैं। रावण दहन वास्तव में अधर्म पर धर्म की जीत है। बुराई पर अच्छाई की जीत है। सबको याद रखना चाहिए कि गलत काम करने वाले का अंत बुरा होता है।