1. आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए।
2. किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में मां आई।
3. सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं,
हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं।
4. किसी भी मोड़ पर तुमसे वफादारी नहीं होगी,
हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी। 5. भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है,
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है।
हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं।
4. किसी भी मोड़ पर तुमसे वफादारी नहीं होगी,
हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी। 5. भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है,
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है।
6. कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा। 7. मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता,
अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता।
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा। 7. मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता,
अब इस से ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता।
8. उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर
ये पेड़ सिर्फ बीच में आने से कट गया 9. तुम्हे भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी,
चलो हम आज ये किस्सा अधूरा छोड़ देते हैं।
ये पेड़ सिर्फ बीच में आने से कट गया 9. तुम्हे भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी,
चलो हम आज ये किस्सा अधूरा छोड़ देते हैं।
10. सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है,
मगर जब गुप्तगू करता है चिंगारी निकलती है। 11. अपनी फजा से अपने जमानों से कट गया,
पत्थर खुदा हुआ तो चट्टानों से कट गया
मगर जब गुप्तगू करता है चिंगारी निकलती है। 11. अपनी फजा से अपने जमानों से कट गया,
पत्थर खुदा हुआ तो चट्टानों से कट गया
12. झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे,
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है।
13. हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं,
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है।
13. हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं,
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
14. वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है,
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है 15. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है,
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है।
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है 15. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है,
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है।
बता दें, उर्दू के शायर मुनव्वर राणा ने रविवार 14 जनवरी को लखनऊ में आखिरी सांस ली है। लंबे समय से वह बीमार चल रहे थे। प्रसिद्ध शायर पहले से ही गुर्दे की बीमारी, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित थे।