रावी पूजा में आ जाती है सब लोग रावी के पूजा में ना आने से उदास है। तभी रावी उत्सव में आ जाती है। उसे देखकर क्रिश खुशी से झूम उठता है। वही क्रिश इस बात से उदास भी है कि रावी ने गौतम की ड्रेस नही पहनी है। धरा बोलती है की रावी के आने से ही वो खुश है।उसी वक्त सब उसके हाथ में मटका देखते है।
रावी राख से भरा मटका फोड़ देती है रावी धरा के पास जाती है और बताती है कि उसका लाया हुआ लेहंगा राख से भरे मटके में है। रावी उस मटके को धरा के सामने फोड़ देती है। धरा ये देख कर दुखी है कि रावी सभी रिशतों को भुला चुकी है। धरा गुस्से में रावी को बोलती है कि वो आज से अपना प्यार अपने पास रखेगी और रावी अपनी समझ अपने पास। ये बोल कर धरा चक्कर खा कर गिर जाती है। सभी घर वाले उसे संभालते है। घर वाले धरा की देख भाल करते है और गौतम धरा को नीबू पानी पिलाता है।
सब मिल कर कृष्ण जी की पूजा करते है सुमन और सभी घर वाले मिलकर कृष्ण जी को झूला झूलाते है। रावी भी चाहती है कि वो परिवार के साथ मिल कर कृष्ण जी को झूला झूलाये मगर वो ऐसा नही कर सकती। रावी वहां से जा ही रही होती है कि वो लड़खड़ा जाती है और उसका हाथ कृष्ण जी के झूले में पड़ जाता है, जिससे वो भी पूजा में शामिल हो जाती है।
दही-हांडी प्रतियोगीता शुरु होती है दही- हांडी प्रतियोगीता शुरू होती है। सब मिल कर रावी और शिवा का हौसला बढ़ा रहे हैं। रावी के दोस्त भी दही- हांडी प्रतियोगीता में आ जाते है जिसे देखकर शिवा चिढ़ जाता है और वो ठान लेता है कि ये प्रतियोगीता तो वो ही जीतेगा। उधर सुमन धरा की नज़र उतारती है और बोलती है कि आज वो बहुत सुंदर लग रही है।