बिहार के भागलपुर में जन्में अशोक कुमार के पिता कुंजलाल गांगुली मध्य प्रदेश के खंडवा में वकील थे। अशोक कुमार भी पिता की तरह वकील ही बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत का लेखा कुछ औऱ ही कह रहा था। हालांकि उस दौर में एक्टर बनना आज जितना आसान बिल्कुल भी नहीं था। दरअसल लोग फिल्म इंडस्ट्री को बड़ी गंदी नजर से देखते थे और फिल्म में काम करने वालों को वह सम्मान नहीं मिलता तो आज मिलता है। खुद अशोक कुमार का कहना था, उन दिनों कॉल गर्ल हीरोइनें बनती थीं और दलाल हीरो बनते थे।
यह भी पढ़ेंः इन सेलेब्स की एक गलती और आज हैं इंडस्ट्री से कोसों दूर, ये रही लिस्ट इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा लीजिए कि जब अशोक कुमार के घर में ये पता चला कि वह एक्टर बन गए हैं, तो उनके घर में कोहराम मच गया। यहां तक कि उनकी शादी भी टूट गई। इतना ही नहीं उनके पिता तुरंत ही नागपुर अपने कॉलेज के दोस्त रविशंकर शुक्ल से मिलने गए जो उस वक्त मुख्य मंत्री थे और उनसे बेटे को कोई नौकरी देने की बात कही। शुक्ल ने उन्हें दो नौकरियों के ऑफर लेटर दिए, लेकिन इन सबसे कोई बात नहीं बनी क्योंकि इंडस्ट्री को एक मशहूर सितारा जो हाथ लगने वाला था।
उनके बीरो बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। अशोक कुमार शुरुआती दिनों में बॉम्बे टॉकीज में साउंड इंजीनियर के तौर पर काम करने लगे थे और प्रोडक्शन के अन्य विभागों को भी देखने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी। हुआ यूं कि एक्ट्रेस देविका रानी के हीरो नजीमल हुसैन सेट से भाग गये थे, जिस कारण बॉम्बे टॉकीज के हिमांशु रॉय बेहद परेशान हो गए थे। उसी दौरान हिमांशु की नजर अशोक पड़ी और उन्होंने कहा अब तुम ही देविका के हीरो हो। बस फिर क्या था यही वो वक्त था जब अशोक की पटरी इस दिशा में मुड़ गई और देविका रानीअशोक कुमार की जोड़ी खूब हिट भी रही।
अशोक कुमार बॉलीवुड के पहले ऐसे एक्टर थे, जिन्हें हीरो बनने का मौका मिला। उनकी पहली फिल्म ‘जीवन नैया’ में उन्होंने एक्टिंग के साथ खुद ही गाना भी गाया था। बस फिर क्या था अशोक कुमार देश के पहले सुपर स्टार बन गए थे। आलम ये था कि घर से निकलते तो भारी भीड़ उन्हें देखने के लिए खड़ी रहती थी। बड़े घरानों की महिलाएं उन पर फिदा थीं।
यह भी पढ़ेंः अपने ड्रेसिंग सेंस के लिए जब इन ग्लैमरस एक्ट्रेस को होना पड़ा था इतना ट्रोल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1943 में आई ज्ञान मुखर्जी की फिल्म ‘किस्मत’ में अशोक कुमार ने अपराधी का रोल किया था। ये पहली ऐसी हिंदी फिल्म थी जिसने 1 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई की थी। ये फिल्म एक साल तक सिनेमाघरों में चली। जिसने खूब सुर्खिया बटोरी थी।