पढ़ाई पूरी करने के बाद दीपिका ने सिनेमा जगत में अपनी किस्मत आजमाई थी। साल 1983 में उन्होंने ‘सुन मेरी लैला’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। पर ये फिल्म पर्दे पर फ्लॉप साबित हुई थी. इसके बाद उन्होंने कई टीवी शोज़ में काम किया था। हालांकि इसमें भी उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली।दीपिका को फिल्मों में ही काम करना था तो ऐसे में उन्होंने हॉरर और बी ग्रेड फिल्मों की ओर रुख कर लिया। उन्होंने बी ग्रेड फिल्म ‘चीख’ और ‘रात के अंधेरे में’ जैसी फिल्में साइन की । इन फिल्मों में दीपिका चिखलिया ने कई बोल्ड सीन भी दिए। दीपिका दिखने में काफी खूबसूरत थी लेकिन काम न मिलने की वजह से उन्होंने बी ग्रेड फिल्मों में काम करना जारी रखा।
दीपिका रामानंद सागर के लिए ‘दादा दादी कहानी’ और ‘विक्रम बेताल’ जैसे सीरियल्स की शूटिंग कर रही थीं.दीपिका ने एक इंटरव्यू बताया था,वो रामानंद सागर के साथ ‘विक्रम बेताल’ में काम कर रही थी, जिसकी शूटिंग उनके बंगले पर ही होती थी। जैसे ही उनहें इस बात का पता चला कि वह रामायण सीरियल के लिए लव कुश के ऑडिशन ले रहे हैं तो दीपिका ने भी उनसे रामायण में काम करने की इच्छा जाहिर की थी। उसके कुछ ही दिनों बाद दीपिका को ऑडिशन के लिए कॉल आ गया था। इसके बाद भी उन्हें चार-पांच स्क्रीनटेस्ट देना पड़ा था जिसके बाद उन्हें सीता का रोल ऑफर हुआ था।
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मां सीता का रोल करने पर हुआ था विरोधमां सीता का रोल करने पर कुछ लोगों ने इस बात का विरोध भी किया था क्योंकि वह दीपिका को बी ग्रेड फिल्मों में इंटीमेट सींस करते देख चुके थे। ऐसे में कई लोग उन्हें रामायण की सीता के लिए स्वीकार नहीं करना चाहते थे,लेकिन कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी। फिर उन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों का ऐसे दिल जिता कि,वो घर-घर में मां के सीता के रूप में प्रचलित हो गईं.
दीपिका ने सीता को रोल प्ले करके बहुत शोहरत सम्मान हासिल की लेकिन उनका एक्ट्रेस बनने का सपना अधूरा ही रह गया.इस सीरियल के बाद कोई उन्हें बतौर हीरोइन अपनी फिल्म में कास्ट करने के लिए तैयार नहीं हुआ। फिल्म मेकर्स का मानना था कि अब दीपिका पर रोमांटिक सीन नहीं फिल्माए जा सकता।