देश के अलग-अलग हिस्सो में इलेक्ट्रिक स्कूटरों (Electric Scooters) में लगने वाली ये आग लगातार बढ़ती ही जा रही है, साथ ही इन स्कूटरों की सवारी और सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस बात को लेकर संदेह उठाया है कि आखिर ये इलेक्ट्रिक स्कूटर लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं। हालांकि वाहन निर्माता कंपनियों ने इन घटनाओं में जांच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन ये सवाल मुसलसल लोगों के जेहन में पैबस्त है।
इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है, जो सेलफोन और स्मार्टवॉच में भी उपयोग किए जाते हैं, जिन्हें आमतौर पर उनके समकक्षों (अन्य बैटरियों) की तुलना में ज्यादा बेहतर और हल्का माना जाता है। हालाँकि, वे आग का खतरा भी पैदा कर सकते हैं, जैसा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है।
क्या होती है lithium-ion बैटरी और ये कैसे काम करता है?
इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक, लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी आज सबसे लोकप्रिय बैटरी प्रकार हैं, जिनका इस्तेमाल दुनिया भर में लाखों उपकरणों में किया जा रहा है। लिथियम बैटरी में एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर होते हैं। एनोड और कैथोड वह जगह है जहां लिथियम जमा होता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट पॉजिटिव चार्ज लिथियम आयनों को एनोड से कैथोड तक ले जाता है। लिथियम आयनों का मूवमेंट एनोड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का निर्माण करती है, जो कलेक्टर पर पॉजिटिव करेंट चार्ज बनाती है।
lithium-ion बैटरी का हल्का वजन, उच्च ऊर्जा घनत्व और रिचार्ज करने की क्षमता, मुख्य रूप से 3 ऐसे गुण हैं जो इसे अन्य बैटरियों के मुकाबले सबसे बेहतर बनाती है। इसके अलावा, लिथियम-आयन बैटरी की लाइफ आमतौर पर लेड एसिड बैटरी की तुलना में अधिक लंबी होती है। लीड-एसिड बैटरी की तुलना में लिथियम-आयन आमतौर पर 150 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर कर सकती है, वहीं लीड-एसिड बैटरी केवल 25 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर करती है।
लिथियम-आयन बैटरी का सबसे बड़ा फायदा इनका उच्च ऊर्जा घनत्व होता है। दोपहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी एथर एनर्जी के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, लिथियम बैटरी की उच्च ऊर्जा घनत्व का मतलब है कि इसके सेल कुछ स्थितियों में अस्थिर हो सकते हैं, जिससे कार्यक्षमता बाधित हो सकती है। हालांकि वे एक सुरक्षित संचालन सीमा के भीतर सबसे अच्छा काम करते हैं। यही कारण है कि बैटरी प्रबंधन प्रणाली ( BMS) को ली-आयन बैटरी पर लागू किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षित रूप से काम कर सकें।
क्या होता है बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS)?
यहां ये जानना भी जरूरी है कि आखिर बैटरी प्रबंधन प्रणाली क्या होती है। BMS मूल रूप से एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जो लिथियम-आयन बैटरी पैक में सभी सेल्स से जुड़ी होती है, जो लगातार अपने वोल्टेज और इसके माध्यम से बहने वाले प्रवाह को मापती है। एक बीएमएस में असंख्य टेंप्रेचर सेंसर होते हैं, जो इसे बैटरी पैक के विभिन्न वर्गों में तापमान की जानकारी प्रदान करता है। यह सारा डेटा BMS को बैटरी पैक के अन्य मापदंडों की गणना करने में मदद करता है, जैसे चार्जिंग और डिस्चार्जिंग रेट, बैटरी लाइफ और इफिशिएंसी इत्यादि।
तो आखिर स्कूटरों में क्यों आग लगती है?
हाल ही में Ola, Okinawa, Pure EV जैसे वाहन निर्माता कंपनियों के स्कूटरों में आगजनी की घटना सामने आई है। लेकिन अभी तक इस बात से पर्दा नहीं उठ सका है कि आखिर इन वाहनों में आग लगने का कारण क्या है। कंपनियों ने घटनाओं की जांच की बात जरूर कही है, लेकिन अभी कारणों का पता नहीं चल सका है। हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में विश्वसनीय स्रोतों, मीडिया और स्थानीय अधिकारियों” के आधार पर कहा है कि, ओकिनावा ने इस प्रथम दृष्टया “वाहन को चार्ज करने में लापरवाही” के कारण शॉर्ट सर्किटिंग का परिणाम माना है।
सामान्य तौर पर एक वाहन में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं। मसलन, एक्सटर्नल डैमेज, शॉट सर्किट या बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में आई तकनीकी खराबी इत्यादि। लेकिन सवाल ये है कि गर्मी के मौसम शुरू होते ही इस तरह के आगजनी के मामलों में तेजी क्यों दिखने लगती है? क्या गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने का असर इस तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों के मैकेनिज्म, बैटरी या अन्य उपकरणों पर कोई नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक स्कूटरों की सवारी सवालों के घेरे में आ रही है।
बहरहाल, इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट में एक वाहन निर्माता कंपनी के रिप्रेजेंटेटिव ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि, तापमान, लथियम-आयन बैटरी पैक में एक मुश्किल भूमिका निभाता है। “जबकि ली-आयन बैटरी आमतौर पर गर्म तापमान में बेहतर प्रदर्शन करती है, लेकिन जब मामला उच्च तापमान का होता है, जब बैटरी पैक का एम्बीएंट तापमान 90-100 डिग्री तक बढ़ सकता है, तो संभव है कि आग लग जाए।
इसके अलावा यहां एक और ध्यान देने वाली बात ये भी है कि, इलेक्ट्रिक वाहनों में कई तरह के छोटी-छोटी बैटरियां इस्तेमाल की जाती हैं, जो कि अलग-अलग उपकरणों का संचालन करते हैं। अब जहां भारी संख्या में बैटरियां इस्तेमाल हो रही हों ऐसे में यदि किसी एक बैटरी में शार्ट सर्किट होता है तो इससे दूसरे कंपोनेंट्स का प्रभावित होना या उनमें आग लगने की स्थिति पैदा होना स्वाभाविक है। जब ये शॉर्ट सर्किट होता है तो ये एक चेन-रिएक्शन की तरह काम करता है, जिसे आम भाषा में थर्मल रनवे भी कहा जाता है। जानकारों का मानना है कि शायद यही कारण है कि लिथियम बैटरियां जल्दी आग पकड़ लेती हैं।
Ola Electric ने अपने स्कूटर में आग लगने के हादसे के बाद एक बयान जारी किया था, जिसमें कंपनी ने का था कि, “हम पुणे में हुई इस घटना से अवगत हैं जो हमारे एक स्कूटर के साथ हुई है और मूल कारण को समझने के लिए जांच कर रहे हैं। हम बहुत जल्द ही अगले कुछ दिनों में और अपडेट साझा करेंगे। हम उस ग्राहक के साथ लगातार संपर्क में हैं जो बिल्कुल सुरक्षित है।”
क्या कर रही है सरकार:
जहां केंद्र सरकार देश में वाहनों के सेफ़्टी फीचर्स और यात्रियों की सुरक्षा के लिए तमाम कवायद कर रही है, वहीं इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आने वाले आगजनी के ये मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। सीएनबीसी-टीवी18 की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने बीते 7 अप्रैल को ओला इलेक्ट्रिक और ओकिनावा स्कूटर्स को उनके इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स में हाल ही में लगी आग पर स्पष्टीकरण के लिए कॉल करने का फैसला किया था।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, “सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि क्या इन वाहनों के निर्माण में क्वॉलिटी कंट्रोल या गुणवत्ता में कोई लापरवाही हुई है। या फिर ग्राहकों की ड्राइविंग शैली या स्कूटरों के निर्माण प्रक्रिया में कोई खामी है। इसके अलावा क्या एआरएआई (ARAI) और आईसीएटी (ICAT) के परीक्षण प्रोटोकॉल को संशोधित करने की आवश्यकता है।” फिलहाल, कई बिंदूओं पर विचार किया जा रहा है।