बीजेपी से निष्कासित हरक सिंह रावत ने अपनी बहू के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर हैं कि कांग्रेस में उनकी एंट्री सिर्फ एक टिकट की शर्त पर हुई है। यानी चुनाव या तो हरक सिंह रावत लड़ेंगे या फिर उनकी बहू अनुकृति।
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बीजेपी ने मुझे यूज एंड थ्रो समझा
कांग्रेस जॉइन करने के बाद रावत ने कहा कि, जब 10 मार्च को कांग्रेस पूर्ण बहुमत से जीतेगी, तो यह मेरी माफी होगी। बीजेपी ने मुझे ‘यूज़ एंड थ्रो’ समझा। मुझे बहुत परेशानी हुई थी। मैंने अमित शाह के साथ अपनी दोस्ती आखिरी पल तक नहीं तोड़ी, जैसा कि मैंने वादा किया था।
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बीजेपी ने मुझे यूज एंड थ्रो समझा
कांग्रेस जॉइन करने के बाद रावत ने कहा कि, जब 10 मार्च को कांग्रेस पूर्ण बहुमत से जीतेगी, तो यह मेरी माफी होगी। बीजेपी ने मुझे ‘यूज़ एंड थ्रो’ समझा। मुझे बहुत परेशानी हुई थी। मैंने अमित शाह के साथ अपनी दोस्ती आखिरी पल तक नहीं तोड़ी, जैसा कि मैंने वादा किया था।
हरीश रावत के चलते टल रही थी एंट्री
दरअसल बीजेपी से निष्कासन के पीछे बड़ी वजह यही थ कि हरक सिंह रावत कांग्रेस के संपर्क में थे। हालांकि कांग्रेस में उनकी राह इतनी आसान नहीं थी। क्योंकि पार्टी के कद्दावर नेता हरीश रावत नहीं चाहते थे कि हरक की पार्टी में एंट्री हो। क्योंकि एक वक्त पर हरक रावत के चलते ही हरीश सिंह रावत की सरकार गिरी थी।
हालांकि कांग्रेस पार्टी का एक धड़ा हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने के पक्ष में था।
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से लेकर प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदिया का मानना है कि हरक सिंह रावत के पार्टी में शामिल होने से गढ़वाल क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत होगी। हरक गढ़वाल की कई सीटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं।
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सोनिया व राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने का अंतिम फैसला किया गया। हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस भवन देहरादून में खूब आतिशबाजी और नारेबाजी हुई। हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि कांग्रेस इन्हें कहां से चुनाव लड़ाएगी।
सोनिया व राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने का अंतिम फैसला किया गया। हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस भवन देहरादून में खूब आतिशबाजी और नारेबाजी हुई। हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि कांग्रेस इन्हें कहां से चुनाव लड़ाएगी।