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Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : लखनऊ मंडल में कमल की बढ़त से सायकिल-हाथी की राह मुश्किल, क्या मतदाता बदलेगा मिजाज

लखनऊ मंडल में छह जिले लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर आते हैं, जहां 46 विधानसभा सीटें हैं। यहां की राजनीति में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा सक्रिय हैं। Uttar Pradesh Assembly Election 2022 के लिए चौक-चौराहों पर संभावित उम्मीदवारों के होर्डिंग्स टंगने लगे हैं।

Dec 24, 2021 / 05:24 pm

Shiv Singh

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : लखनऊ मंडल में कमल की बढ़त से सायकिल-हाथी की राह मुश्किल, क्या मतदाता बदलेगा मिजाज

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : लखनऊ मंडल में कमल की बढ़त से सायकिल-हाथी की राह मुश्किल, क्या मतदाता बदलेगा मिजाज

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को देश की राजनीति का प्रमुख केंद्र बनाने में कई दिग्गजों का बड़ा योगदान है। अब यहां भाजपा के कमल का रंग चटक है और साइकिल व हाथी चल तक नहीं पा रहे। यहां की राजनीति देखें तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद रहे। समाजसेवी चंद्रभानु गुप्त और रामप्रकाश गुप्त जैसे यहीं के नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लाल जी टंडन का भी राजनीति में एक विशिष्ट स्थान है। लखनऊ के सांसद राजनाथ केंद्रीय रक्षा मंत्री हैं जबकि लखीमपुर खीरी के सांसद अजय मिश्रा टेनी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री, मोहनलाल गंज से सांसद कौशल किशोर केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री हैं। लखनऊ के महापौर रहे प्रोफेसर दिनेश शर्मा डिप्टी सीएम हैं जबकि विधायक ब्रजेश पाठक, आशुतोष टंडन, स्वाति सिंह व विधान परिषद सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, महेंद्र सिंह, जितिन प्रसाद योगी सरकार में मंत्री हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का बेहतर प्रदर्शन रहा है।

लखनऊ मंडल में छह जिले लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर और लखीमपुर आते हैं, जहां 46 विधानसभा सीटें हैं। यहां की राजनीति में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा सक्रिय हैं। Uttar Pradesh Assembly Election 2022 के लिए चौक-चौराहों पर संभावित उम्मीदवारों के होर्डिंग्स टंगने लगे हैं। विकास की बात करें तो प्रदेश में सरकार की किसी भी दल की रही हो लेकिन लखनऊ में विकास की एक से बढ़कर एक परियोजनाएं आती रहीं और लखनऊ के विकास को पंख लगते रहे। मेट्रो परिचालन से लेकर बड़े-बड़े पार्क, रिंग रोड, ओवरब्रिज, एक्सप्रेस वे, सौंदर्यीकरण के कार्य और उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना अहम हैं। कड़वा सच यह भी है कि मंडल के अन्य जिलों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास की ऐसी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं।
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लखनऊ – 9 सीटें
राजधानी लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों में से आठ सीटों पर भाजपा व एक सीट पर सपा काबिज है। इनमें भाजपा के आशुतोष टंडन लखनऊ पूर्वी से, नीरज बोरा लखनऊ उत्तर से, लखनऊ पश्चिम से सुरेश श्रीवास्तव, कैंट से सुरेश तिवारी, लखनऊ मध्य ब्रजेश पाठक, भाजपा की जयदेवी कौशल मलिहाबाद से, सरोजनी नगर से स्वाति सिंह, बक्शी का तालाब से अविनाश त्रिवेदी, सपा के अंबरीष सिंह पुष्कर मोहनलालगंज से विधायक निर्वाचित हुए थे। इनमें लखनऊ पश्चिम से भाजपा विधायक सुरेश श्रीवास्तव का निधन हो गया है। भाजपा भी राजधानी की एक-दो सीटों पर चेहरे बदलेगी क्योंकि एक वरिष्ठ नेता के बेटे को विधायक का टिकट दिए जाने की चर्चा जोरों पर है और वर्तमान विधायक टिकट बचाने की जुगत में हैं।
हरदोई – 8 सीटें
पिछले विस चुनाव में जिले की आठ सीटों में से सात सीटें भाजपा ने जीती थी, जबकि एक सीट पर सपा ने कब्जा किया था। इनमें भाजपा के रामपाल वर्मा बालामऊ (सुरक्षित) से, राज कुमार अग्रवाल संडीला से, आशीष कुमार सिंह आशू बिलग्राम-मल्लावां से, श्याम प्रकाश गोपामऊ (सुरक्षित) से, माधवेंद्र प्रताप सिंह रानू सवायजपुर से, रजनी तिवारी शाहाबाद से, प्रभाष कुमार सांडी (सुरक्षित) से विधायक निर्वाचित हुए थे जबकि सपा के नितिन अग्रवाल हरदोई सदर से निर्वाचित हुए। वर्तमान में अग्रवाल विधानसभा उपाध्यक्ष हैं। राजनीतिक हालत ऐसे हैं कि भाजपा कुछ नए चेहरों पर दांव लगा सकती है और नितिन अग्रवाल के कदम से सपा नई रणनीति बना रही है। नितिन अग्रवाल के पिता नरेश अग्रवाल कई बार मंत्री विधायक रहे हैं।
उन्नाव -6 सीटें
वर्ष 2017 के विस चुनाव में जिले की छह सीटों में भाजपा ने पांच सीटें जीती थी। बसपा के एकमात्र विधायक भी बाद में भाजपाई हो गए। ऐसे में सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इनमें भाजपा के पंकज गुप्ता उन्नाव से, श्रीकांत कटियार बांगरमऊ से,बी दिवाकर सफीपुर से, ब्रजेश रावत मोहान से, हृदयनारायण दीक्षित भगवंतनगर से विधायक हैं। दीक्षित उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष भी हैं। बसपा से पुरवा सीट जीतने वाले अनिल सिंह वर्तमान में भाजपाई हो गए हैं। राजनीति में चर्चा में है कि भाजपा एक-दो विधायकों के टिकट काट सकती है। बांगरमऊ से वर्ष 2017 में एमएलए बने कुलदीप सेंगर को एक चर्चित मामले में सजा होने के बाद उनकी विस सदस्यता खत्म हो गई थी। उपचुनाव भी भाजपा जीती थी।
रायबरेली-6 सीटें
पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की छह सीटों में से तीन भाजपा, दो कांग्रेस और एक सपा जीती थी। भाजपा के धीरेंद्र सिंह सरेनी से, दल बहादुर कोरी सलोन से,राम नरेश रावत बछरांवा से, सपा के मनोज कुमार पांडेय ऊंचाहार से, कांग्रेस की अदिति सिंह रायबरेली सदर और कांग्रेस के ही राकेश सिंह हरचंदपुर से निर्वाचित हुए। इनमें अदिति सिंह भाजपा में शामिल हो गई हैं। हरचंदपुर विधायक राकेश सिंह भी व्यवहारिक रूप से भाजपा से जुड़ गए हैं। सलोन से विधायक व पूर्व मंत्री दल बहादुर कोरी का निधन हो गया है। भाजपाई खुद कह रहे हैं एक निष्क्रिय विधायक के टिकट कटेगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं, लेकिन जिले में कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है, फिर भी कांग्रेसी दम भर रहे हैं।
सीतापुर-9 सीटें
पिछले चुनाव में नौ सीटों में से सात सीटों पर भाजपा, एक-एक सीट पर बसपा और सपा काबिज हुए थे। इनमें भाजपा के राकेश राठौर सीतापुर सदर से, सुनील वर्मा लहरपुर से, सुरेश राही हरगांव से, ज्ञान तिवारी सेवता से, महेंद्र सिंह यादव बिसवां से, शंशाक त्रिवेदी महोली से, राम कृष्ण भार्गव मिश्रिख से, सपा के नरेंद्र वर्मा महमूदाबाद से, बसपा के हरगोविंद भार्गव विधायक हैं। सदर से विधायक राकेश राठौर समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। बसपा के हरगोविंद भार्गव भी सपा का दामन थाम चुके हैं।
लखीमपुर खीरी-8 सीटें
भाजपा के रोमी साहनी पलिया से, शंशाक वर्मा निघासन से, अरविंद गिरि गोला से, मंजू त्यागी श्रीनगर से, बाला प्रसाद अवस्थी धौरहरा से, योगेश कुमार वर्मा लखीमपुर सदर से, सौरभ सिंह सोनू कस्ता से और लोकेंद्र प्रताप सिंह मोहम्मदी से विधायक हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में जिताऊ कंडीडेट के चक्कर में अन्य दलों से आए नेताओं को भी एमएलए का टिकट दिया था।
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विस चुनाव 2022 में बदलेगी तस्वीर
लखनऊ मंडल में कुल 46 विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2017 में भाजपा 38 सीटों पर जीती थी। अन्य दलों के विधायक भाजपा में आने से सीटें बढ़ी हैं जबकि एक भाजपा विधायक सपा में गया है। अगले विधानसभा चुनाव में ये तस्वीर बदल सकती है। वजह यह है कि बसपा और कांग्रेस कमजोर होने से सपा की ताकत बढ़ी है। लखीमपुर में हिंसा में किसानों की मौत का प्रकरण अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है। सपा व कांग्रेस इसे भुनाने में जुटी है। भाजपा के एक विधायक सपा में जा चुके हैं। आने वाले दिनों यह स्थिति तेजी से बदलेगी। ऐसे में भाजपा के सामने वर्ष 2017 का दबदबा बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। हालांकि मोहनलाल गंज से सांसद कौशल किशोर को केंद्र में मंत्री बनाकर एक बड़े वोट बैंक को अपने साथ लाने की कोशिश जरूर की है। योगी सरकार में शामिल मंडल के छह मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं।

ये हैं मंडल के प्रमुख मुद्दे
लखनऊ : मेट्रो का और विस्तार हो। जाम की समस्या दूर करने ओवरब्रिज बनें।
उन्नाव : बांगरमऊ में कल्याणी नदी पर पुल व सफीपुर में फलमंडी की मांग, पानी में फ्लोराइड की अधिकता से बीमारी बढ़ रही है।
सीतापुर : कताई मिल की बंदी, सुगर मिलों से किसानों के गन्ने के भुगतान में देरी, रोजगार की कमी और बाढ़।
लखीमपुर खीरी : गन्ना किसानों को भुगतान में देरी, कानून व्यवस्था लचर।
हरदोई : रोजगार के अवसरों की कमी।
रायबरेली : शहर में जाम व गंदगी बड़ी समस्या, रोजगार के साधन घट रहे। बड़े उद्योगों की स्थापना की दरकार।

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