यह भी पढें : UP Assembly Elections 2022 : देवीपाटन मंडल की राजनीति बाहुबली और रियासतदारों में उलझी, दल बदलते देर नहीं लगती सीतापुर सदर पहले विधानसभा चुनाव से ही कांग्रेस और भारतीय जनसंघ का गढ़ रहा करता था। पहले दो चुनाव वर्ष 1952 व १1957 में कांग्रेस ने दर्ज की थी, तो अगले दो चुनाव 1962 व 67 में भारतीय जनसंघ ने। इसके बाद आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी के चिह्न पर राजेंद्र गुप्ता निर्वाचित हुए। फिर भाजपा से जीते और वर्ष 1995 तक एमएलए रहे। अगले चुनाव में सपा के राधेश्याम जायसवाल ने जीते और वर्ष 2017 तक विधायक रहे। मोदी लहर में इस सीट पर भाजपा के राकेश राठौर ने कब्जा किया।
यह भी पढें : UP Assembly Election 2022 : बाराबंकी में कभी बेनी के इशारे पर मुलायम बांटते थे टिकट , अब भाजपा का गढ़ भाजपा ने लगभग 22 साल बाद सीतापुर सदर विधानसभा सीट जीती थी लेकिन चुनाव जीतने के बाद राकेश राठौर का स्थानीय नेताओं से तालमेल बिगडऩे लगा और यह सुधरने के बजाय बिगड़ता ही गया। कोरोना काल में ऐसा भी वक्त आया जब राकेश राठौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थाली-ताली बजाने के अभियान पर तंज कसा लेकिन सामान्य कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करने वाले नेता एमएलए पर लगाम नहीं कस सके। एक दिन ऐसा भी आ गया जब एमएलए राकेश राठौर ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए औरएक दिन सपा में चले गए।
अब भाजपा क्या करेगी
सीतापुर सदर से पार्टी के एमएलए राकेश राठौर के समाजवादी पार्टी में चले जाने से अब भाजपा के सामने एक जिताऊ कंडीडेट की दरकार है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि पिछले चुनाव में विपक्षी दलों के मजबूत उम्मीदवारों पर नजरें हैं और कई संपर्क में भी हैं। ऐसे में संभव है कि भाजपा Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में आयातित उम्मीदवार पर दांव लगाए। वैसे भी राकेश राठौर वर्ष 2007 में बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं और तब हार गए थे।
शहर में चर्चा है कि राकेश राठौर सपा से विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सपा से ताल ठोंक चुके राधे श्याम जायसवाल के शहर में जगह-जगह लगे होर्डिंग्स उन्हें संभावित प्रत्याशी के तौर पर पेश कर रहे हैं। हालांकि सपा के जिला अध्यक्ष छत्तर पाल यादव का कहना है कि वे पार्टी के निर्देश पर काम किया जाएगा।