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UP Assembly Elections 2022 : यूपी की राजनीति में है मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य समुदाय का वर्चस्व, छह फीसदी आबादी के साथ ओबीसी की तीसरी बड़ी जाति

UP Assembly Elections 2022 : लगभग पूरे उत्तर प्रदेश में मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य समुदाय की जनसंख्या निवास करती है। लखनऊ तथा इसके आसपास पूर्वांचल तक मौर्य समुदाय प्रभावी स्थिति में है। वहीं बुंदेलखंड में कुशवाहा समाज का बाहुल्य है। एटा, बदायूं, मैनपुरी, इटावा तथा इसके आसपास जनपदों में शाक्य समाज काफी प्रभावी है। सहारनपुर तथा इसके आसपास के जिलों में सैनी समाज की प्रभावी स्थिति है।

Jan 12, 2022 / 04:39 pm

Amit Tiwari

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लखनऊ. UP Assembly Elections 2022 : योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे ने भारतीय जनता पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी है। भाजपा की यह चिंता इसलिये भी जायज है, क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग में शामिल शाक्य, सैनी, कुशवाहा और मौर्य जाति जाति से आते हैं और इन मतदाताओं में काफी अच्छी पकड़ रखते हैं। यही कारण की भाजपा के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी अब भी मनाने में जुटी है। यूपी की राजनीति में शाक्य, सैनी, कुशवाहा और मौर्य समाज सम्मिलित रूप से आबादी के हिसाब से काफी असरदार है और इस समाज का राजनीतिक क्षेत्र में भी धीरे-धीरे इस समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। अगर 1931 की जातीय जनगणना के आधार पर देखा जाये तो यह वर्तमान समय में इस समाज की आबादी यूपी में 6 से 8 फीसदी के आसपास है।
मायावती ने समझी थी ताकत

उत्तर प्रदेश में कुशवाहा, मौर्य, सैनी व शाक्य समुदाय के नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाने का सिलसिला बहुजन समाज पार्टी की सरकार से शुरू हुआ था। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में बनी बहुजन समाज पार्टी की सरकार में पहली बार इस समाज में तीन कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, बाबूसिंह कुशवाहा तथा डॉ. धर्म सिंह सैनी बने थे।
भाजपा ने दिया उप मुख्यमंत्री पद

इसके बाद में भाजपा सरकार में केशव प्रसाद मौर्य को कैबिनेट मंत्री के साथ ही उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इस सरकार में स्वामी प्रसाद मौर्य को कैबिनेट मंत्री तथा डॉ. धर्म सिंह सैनी को स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया।
17वीं विधानसभा में जीते थे 15 विधायक

यूपी में 17वीं विधानसभा का गठन होने के बाद मौर्य, कुशवाहा,शाक्य, सैनी समाज के 15 विधायक चुनकर आये थे। जिसमें 14 विधायक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीते। इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य, डॉ अनिल कुमार मौर्य, कमलेश सैनी, चन्द्रपाल कुशवाहा, डॉ. धर्म सिंह सैनी, धर्मेंद्र सिंह शाक्य, बहोरन लाल मौर्य, ममतेश शाक्य, रामरतन कुशवाहा, विक्रमाजीत मौर्य, शुचि स्मिता मौर्या, सुशील कुमार शाक्य, विनय कुमार शाक्य तथा विक्रम सिंह सैनी मुजफ्फरनगर से शामिल हैं। जबकि नरेश सैनी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। अब नरेश सैनी भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये हैं।
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स्वामी प्रसाद समुदाय के बड़े नेता

यूपी में मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज के प्रमुख राजनेताओं में सबसे ऊपर वर्तमान समय में कुशीनगर के पडरौना से तीसरी बार विधायक बने स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम आता है। स्वामी प्रसाद मौर्य अब तक 5 बार विधायक तथा 6 बार कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 3 बार नेता प्रतिपक्ष विधानसभा तथा 3 बार नेता सदन विधान परिषद की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।
केशव प्रसाद मौर्य भी कम नहीं

भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री तथा कैबिनेट मंत्री केशव प्रसाद मौर्य समुदाय के पहले नेता हैं जो उप मुख्यमंत्री बने हैं। केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी के सिराथू से विधायक व सांसद भी रह चुके हैं। वर्तमान समय में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं। बांदा निवासी व बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे तथा वर्तमान समय में जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबूसिंह कुशवाहा, पूर्वांचल में पारसनाथ मौर्य का नाम भी बड़े नेताओं में है। सहारनपुर से 4 बार विधायक तथा कैबिनेट मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी, ममतेश शाक्य, बहोरन लाल मौर्य, नीरज कुशवाहा आदि प्रमुख नेता अपनी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं।
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यूपी में मौर्य वोटों की ताकत

यूपी में यादव और कुर्मियों के बाद ओबीसी में तीसरा सबसे बड़ा जाति समूह मौर्य समाज का है। यह समाज मौर्य के साथ-साथ शाक्य, सैनी, कुशवाहा, कोइरी, काछी के नाम से भी जाना जाता है। यूपी में करीब 6 फीसदी मौर्य-कुशवाहा की आबादी है, लेकिन करीब 15 जिलों में 15 फीसदी के करीब हैं। पश्चिमी यूपी के जिलों में सैनी समाज के रूप में पहचान है, तो बृज से लेकर कानपुर देहात तक शाक्य समाज के रूप में जाने जाते हैं। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में कुशवाहा समाज के नाम से जानी जाती है, तो अवध और रुहेलखंड व पूर्वांचल के कुछ जिलों में मौर्य नाम से जानी जाती है।
किसी एक दल का नहीं रहा है समुदाय

मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का वोट किसी एक पार्टी के साथ उत्तर प्रदेश में कभी नहीं रहा है। यह समाज चुनाव दर चुनाव अपनी निष्ठा को बदलता रहा है। आजादी के बाद कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा तो लोकदल और जनता दल के भी साथ गया। इसके बाद सपा और बसपा के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में बंटता रहा और 2017 में बीजेपी को 90 फीसदी मौर्य समाज का वोट मिला था।

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