फैजाबाद जिले (अब अयोध्या) की राजनीति में जाति, हिंसा और सामंतशाही हमेशा प्रभावी रही है। मिल्कीपुर विधानसभा ( Milkipur Assembly Constituency ) भी अछूती नहीं रही। चुनावी रंजिश में कई लोगों की जान जा चुकी है। प्रत्याशियों पर भी जानलेवा हमले हुए हैं। मिल्कीपुर में जाति, राजनीति और प्रशासन का समन्वय विषय पर पीएचडी करने वाले लखनऊ यूनिवर्सिटी के समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर राम गणेश का कहना है कि मिल्कीपुर में एससी-एसटी व ओबीसी की आबादी अधिक है, लेकिन हिंसा और सामंतशाही के कारण राजनीति व समाज में उनका कोई स्थान नहीं था। आपातकाल के समय मित्रसेन यादव, शीतला सिंह, विंध्याचल सिंह और राजबली ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहारे काम शुरु किया। प्रोफेसर रामगणेश का कहना है कि मित्रसेन और उनके साथी दबे-कुचले लोगों में राजनीतिक चेतना पैदा करने के लिए गांवों ड्रामा किया करते थे।
सामंतशाही को चुनौती दे बने सांसद-विधायक मित्रसेन यादव पहली बार 1977 में Milkipur Assembly Constituency से चुनाव जीते। इसके बाद 1980, 1985, 1993, 1996 में विधायक बने। हंसिया-बाली छोड़कर मित्रसेन मुलायम सिंह यादव के साथ हो गए। मित्रसेन वर्ष 1989, 1998 व 2004 में सांसद भी रहे। इनके बेटे आनंद सेन भी सपा से 2002 में, बसपा से 2007 में चुनाव जीते। वर्ष 2012 में मिल्कीपुर सीट सुरक्षित हो गई और सपा के अवधेश प्रसाद जीते। वैसे यहां से वर्ष 1989 में ब्रजभूषण मणि त्रिपाठी कांग्रेस से और 1991 में भाजपा से मथुरा प्रसाद तिवारी विधायक बने। 7 सितंबर 2015 में मित्रसेन यादव के निधन से राजनीति में आई रिक्तता अभी नहीं भरी है। प्रोफेसर रामगणेश का कहना है कि दशकों से हिंसा और जातीय राजनीति हावी है। गांव में ऐसे बड़े लोगों को लंबरदार कहा जाता है।
ये भी पढ़ें : Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : कानपुर मंडल की 27 में 22 सीटें भाजपा की झोली में, इस बार विपक्ष ने दी ये चुनौती भाजपा-सपा जमीन बचाने में जुटेवर्ष 2017 में मिल्कीपुर (सु) से भाजपा के गोरखनाथ बाबा ने 86960 वोट पाकर जीते, जबकि समाजवादी पार्टी से पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद 58684 वोट पाकर हार गए। बसपा के राम गोपाल कोरी को 46027 वोट मिले। सपा व भाजपा अलग-अलग गतिविधियों के जरिए सक्रिय हैं। इन दोनों दलों को अपनी जमीन बचाने की चिंता है। इसकी वजह यह है कि सपा इसे परंपरागत सीट मानती है, इसलिए Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में हर हाल में वापसी चाहती है जबकि भाजपा मोदी लहर में जीती इस सीट को बरकरार रखना चाहती है।
ये भी पढ़ें : Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : रुदौली सीट पर फिर भिड़ेंगे भाजपा -सपा , 2012 से खिला है कमल ये समस्याएं मुद्दा नहीं बनतीमिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र (Milkipur Assembly Constituency ) में कई समस्याएं हैं। किसानों की पीड़ा है कि छुट्टा जानवर पूरी फसल तबाह कर रहे हैं लेकि न मुआवजे जैसी कोई बात नहीं हैं। गांवों की सड़कें जर्जर हैं और रोजगार के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। बच्चों की अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। राशन के लिए दिन भर लाइन लगाने के बाद ही कहीं राशन मिल पाता है। क्षेत्र के एक निजी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.वेद प्रकाश यादव कहते हैं कि ये समस्याएं कभी मुद्दा नहीं बनती हैं। इसकी वजह लोग मुद्दों पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर वोट करते हैं। इनका कहना है कि जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी।